सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को संविधान से इंडिया की जगह भारत शब्द का प्रयोग करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई होगी. याचिका में कहा गया है कि संविधान के पहले अनुच्छेद में लिखा है कि इंडिया यानी भारत. ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि जब देश एक है तो उसके दो नाम क्यों है? एक ही नाम का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है?. याचिकाकर्ता की दलील है कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए.
याचिकाकर्ता का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर इंडिया शब्द हटा दिया जाए. अभी अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा. इसकी जगह संशोधन करके इंडिया शब्द हटा दिया जाए और भारत या हिन्दुस्तान कर दिया जाए. देश को मूल और प्रमाणिक नाम भारत से ही मान्यता दी जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा. दरअसल, इंडिया शब्द की जगह भारत किया जाना हमारे पूर्वजों द्वारा स्वतंत्रता संघर्ष में की गई कठिन भागीदारी को न्यायसंगत ठहराएगा.
यह याचिका दिल्ली के एक निवासी ने दायर की है और दावा किया है कि यह संशोधन इस देश के नागरिकों की औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति सुनिश्चित करेगा. याचिका में 1948 में संविधान सभा में संविधान के तत्कालीन मसौदे के अनुच्छेद 1 पर हुई चर्चा का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि उस समय देश का नाम ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ रखने की पुरजोर हिमायत की गई थी.
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