इन 12 बिन्दुओं से समझिये कि आखिर क्यों संभव नहीं है EVM हैकिंग

17 वीं लोकसभा चुनाव के बाद आये एग्जिट पोल के बाद से ईवीएम को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है. परिणाम आने में कुछ ही घंटे बचे हैं, उससे पहले विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर ईवीएम में धांधली के आरोप लगा रहे हैं. यहां तक कि परिणाम पक्ष में न आने पर हथियार उठाने से लेकर खून खराबे तक की धमकियां दी जा रही हैं.


राजनीतिक दलों के द्वारा बार-बार ईवीएम पर सवाल उठाए जाने पर आम मतदाताओं के मन में भी सवाल उठ रहा है कि क्या चुनाव आयोग की ईवीएम को हैक किया जा सकता है? आइये जानतें हैं ईवीएम के बारें में..


ये हैं ईवीएम से जुड़े वो 10 महत्वपूर्ण बातें…

  • ईवीएम मशीन किसी भी तरह से इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होती, ऐसे में इसे ऑनलाइन हैक करना संभव नहीं है.

  • कौन सी ईवीएम मशीन किस पोलिंग बूथ पर रहेगी इस बात का पता पहले से नहीं होता, पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले पता चलता है कि उनके पोलिंग बूथ पर कौन से सीरिज़ की ईवीएम आएगी.

  • ईवीएम मशीन दो तरह की होती है. बैलट और कंट्रोल यूनिट. इसके साथ ही एक तीसरी तरह की यूनिट भी अब जोड़ दी गई है इसे VVPAT कहा जाता है.

  • इसमें वोट देने के कुछ सेकेंड के अंदर मतदाता को पर्ची दिखाती है कि उसने किसको वोट दिया है. हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक इस तरह की मशीन का इस्तेमाल सभी पोलिंग बूथों पर नहीं किया गया है.

  • वोटिंग शुरू होने से पहले ही ईवीएम मशीन को टेस्ट किया जाता है कि मशीन ठीक है या नहीं. ये भी देखा जाता है कि इससे किसी तरह की कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है.इस प्रक्रिया को मॉक पोलिंग भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही वोटिंग शुरू करवाई जाती है

  • सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है ताकि ये जांचा जा सके कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट गिर रहा है कि नहीं. ऐसे में यदि किसी मशीन में टेंपरिंग या तकनीकि गड़बड़ी होगी तो मतदान के शुरू होने के पहले ही पकड़ ली जायेगी.

  • मॉक पोल के बाद सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एंजेट मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी के प्रभारी को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते है. इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केन्द्र में वोटिंग शुरू की जाती है. ऐसे में जो उम्मीदवार ईवीएम में टैंपरिंग की बात कर रहे हैं वे अपने पोलिंग एंजेट से इस बारे में बात कर आश्वस्त हो सकते है.

  • मतदान शुरू होने के बाद मतदान केन्द्र में मशीन के पास मतदाताओं के अलावा मतदान कर्मियों के जाने की मनाही होती है, वे ईवीएम के पास तभी जा सकते है जब मशीन की बैट्री डाउन या कोई अन्य तकनीकि समस्या होने पर मतदाता द्वारा सूचित किया जाता है.

  • हर मतदान केन्द्र में एक रजिस्टर बनाया जाता है, इस रजिस्टर में मतदान करने वाले मतदाताओं की डिटेल अंकित रहती है और रजिस्टर में जितने मतदाता की डिटेल अंकित होती है, उतने ही मतदाताओं की संख्या ईवीएम में भी होती है. काउंटिंग वाले दिन इनका आपस मे मिलान मतदान केंद्र प्रभारी की रिपोर्ट के आधार पर होता है.

  • ईवीएम मशीन का निर्माण सर्वंजिक क्षेत्र की कंपनी बीईएल और ईसीआईएल द्वारा किया जाता है, जो की भारत के लिए सुरक्षा और परमाणु से जुड़े उपकरणों का निर्माण करती है. इसके प्रोग्रामिंग का सोफ्टवेयर दो से तीन इंजिनियर मिलकर करते है. जिसकी वजह से इसमें किसी भी बाहरी व्यक्ति का शामिल होना नामुमकिन है.

  • ईवीएम मशीनों के अगल अगल सेम्पल की जांच पीएसयू कंपनी के एक अधिकारीयों का समूह करता है जो पूरी तरह से स्वतंत्र है इसकी जांच के लिए.

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट

ऐसा पहली बार नहीं है जब ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए हों. सुप्रीम कोर्ट के सामने भी ईवीएम टैंपरिंग के कई मामले आए हैं. लेकिन आज तक कभी भी इस तरह का कोई मामला सही साबित नहीं हुआ.


चुनाव आयोग की तरफ से कई बार आम लोगों को आमंत्रित किया है कि वह खुद चुनाव आयोग जाकर ईवीएम को गलत साबित करने का दावा प्रस्तुत करें लेकिन आज तक इस तरह का कोई भी दावा सही साबित नहीं हो पाया है.


ईवीएम से जुड़ी ऐसी बातें शायद ही जानते होंगे आप

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कुछ राजनीतिक दल ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली नगर निगम चुनाव ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से कराने की मांग की है. हालांकि, यह मामला पहले भी शीर्ष अदालत में पहुंचा था और विशेषज्ञों की राय है कि ईवीएम में सेंध लगाना नामुमकिन है.


  • ईवीएम का सॉफ्टवेयर कोड वन टाइम प्रोग्रामेएबल नॉन वोलेटाइल मेमोरी के आधार पर बना है. ऐसे में इसकी हैकिंग के लिए निर्माता से कोड हासिल होगा.

  • 2013 में नामिबिया ने 1700 ईवीएम मशीन भारत से खरीदे थे. इतना ही नहीं नेपाल, भूटान, केन्या, फिजी भी भारतीय ईवीएम के मुरीद हुए थे.

ईवीएम का सफर

  • 1998 में 16 विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया
  • 1999 में पहली बार लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल
  • 2004 से सभी चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा है
  • 3840 वोट दर्ज हो सकते हैं एक ईवीएम में

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