योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने जबसे उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली है, भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं किया है. आईएएस, आईपीएस स्तर के अधिकारियों से लेकर लिपिक की रैंक तक जब जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत मिले योगी ने बिना कोई देरी किए हंट चलाया. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सरकार ने करप्शन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है. जमीन को लेकर मनमाने तरीके से कार्रवाई करते पाए गए 3 दोषी उप जिलाधिकारियों (SDM) को तहसीलदार के पद पर डिमोट कर दिया गया है. सरकार ने तीनों अधिकारियों को राजस्व परिषद से संबद्ध किया.
प्रयागराज में SDM पर कार्रवाई
बता दें, एसडीएम प्रयागराज रामजीत मौर्य जब मिर्जापुर में तहसीलदार थे, तब उन्होंने एक जमीन के मामले में नियमों को ताक पर रख मनमाने तरीके से फैसला दिया था. बताया जा रहा है कि यह जमीन कई एकड़ में है और करोड़ों की कीमत रखती है. जब धांधली की शिकायत की गई तो मामले की जांच हुई. इन्वेस्टिगेशन में रामजीत मौर्य को दोषी पाया गया.
श्रावस्ती में SDM पर कार्रवाई
दूसरा केस श्रावस्ती के एसडीएम जेपी चौहान का है. जब वह पीलीभीत में तहसीलदार के पद पर तैनात थे तो एक जमीन के मामले में अपनी मर्जी से फैसला दे दिया था, जो नियमों के विरुद्ध था. यह जमीन भी करोड़ों की है.
मुरादाबाद में SDM पर कार्रवाई
तीसरा मामला मुरादाबाद के एसडीएम अजय कुमार का है. जब वह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में थे तो उस दौरान एक जमीन के केस में उन्होंने भी नियमों के खिलाफ कार्रवाई की. बताया जा रहा है कि अधिग्रहण के बाद भी इस जमीन को छोड़ने का काम किया गया, ताकि एक बड़ा व्यक्ति इसपर कब्जा कर सके.
तीनों मामलों की जांच में तीन एसडीएम दोषी पाए गए. अब लोक सेवा आयोग से परमिशन लेने के बाद तीनों को तहसीलदार के पद पर डिमोट कर राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है.
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