उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने राज्य को लेदर (Leather) और नॉन-लेदर सेक्टर में वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश फुटवियर, लेदर और नॉन लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025 को मंजूरी दी है। इस नई नीति के लागू होने से राज्य में 22 लाख नए रोजगार सृजित होने की संभावना है, जबकि वर्तमान में यह सेक्टर पहले से ही 15 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।
कानपुर, उन्नाव और आगरा होंगे विकास के केंद्र
एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने बताया कि भारत लेदर सेक्टर में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है, और उत्तर प्रदेश इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राज्य के प्रमुख शहर जैसे कानपुर और उन्नाव में 200 से अधिक टेनरियां सक्रिय हैं। वहीं, आगरा को देश की “फुटवियर राजधानी” कहा जाता है। नई नीति के तहत इन शहरों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी फुटवियर और लेदर से जुड़ी सहायक इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।
उद्योगों को मिलेगा भारी निवेश और आकर्षक प्रोत्साहन
नई नीति के तहत न्यूनतम निवेश की सीमा को स्पष्ट किया गया है – एकल इकाई और मशीनरी निर्माण के लिए 50 से 150 करोड़ रुपये, मेगा एंकर यूनिट के लिए 150 करोड़ रुपये और क्लस्टर यूनिट के लिए 200 करोड़ रुपये का निवेश तय किया गया है। सरकार जमीन पर सब्सिडी देगी – पश्चिमांचल में 25% से लेकर अन्य क्षेत्रों में 35% तक, जबकि क्लस्टर और मेगा एंकर यूनिट्स को 75-80% तक सब्सिडी मिलेगी। साथ ही, स्टांप ड्यूटी पर 100% छूट और 5 वर्षों तक EPF की प्रतिपूर्ति दी जाएगी।
निर्यात को मिलेगा नया आयाम
साल 2023-24 में भारत ने इस क्षेत्र से 4.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जिसमें अमेरिका, जर्मनी, यूके, फ्रांस, इटली, स्पेन और नीदरलैंड्स जैसे देश प्रमुख रहे। आने वाले चार वर्षों में इस आंकड़े को बढ़ाकर 8 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जहां लेदर इंडस्ट्री का बाजार पहले ही 350 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुका है।
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तकनीकी, बिजली और लॉजिस्टिक्स पर भी विशेष छूट
सरकार ने तकनीकी शिक्षा, बिजली और परिवहन क्षेत्र में भी उद्यमियों को राहत दी है। तकनीकी कोर्सेस पर 30% सब्सिडी, बिजली पर 5 वर्षों तक 2 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी (अधिकतम 60 लाख), और ट्रांसपोर्ट व लॉजिस्टिक्स पर 75% सब्सिडी (अधिकतम 10 करोड़ रुपये) की घोषणा की गई है। इसके अलावा, शोध एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए पेटेंट और कॉपीराइट पर भी 1 करोड़ रुपये तक की सहायता दी जाएगी।