मुकेश कुमार संवाददाता गोरखपुर नगर निगम द्वारा अपनाई गई फाइटोरेमेडिएशन तकनीक और सबमर्शिबल नैनो बबल एंड अल्ट्रासाउंड टेक्नोलॉजी के सफल प्रयोग ने वाराणसी नगर निगम का ध्यान आकर्षित किया है। अब वाराणसी नगर निगम भी इसी मॉडल को अपनाने की योजना बना रहा है, जिससे गंगा नदी में गिरने वाले बड़े नालों और तालाबों को प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक विधियों से शुद्ध किया जा सके।
गोरखपुर नगर निगम ने राप्ती नदी में गिरने वाले तकियाघाट नाले को फाइटोरेमेडिएशन तकनीक और बशारतपुर मोती पोखरा को सबमर्शिबल नैनो बबल एंड अल्ट्रासाउंड टेक्नोलॉजी से शुद्ध किया है। इस पहल को कई मंचों पर सराहा गया है। जलशोधन की इन तकनीकों का अध्ययन करने के लिए जल्द ही वाराणसी नगर निगम की एक टीम, मुख्य अभियंता मुईनुद्दीन की अगुवाई में गोरखपुर का दौरा करेगी।
वाराणसी नगर निगम की टीम विशेष रूप से मोती पोखरा और तकियाघाट नाले का निरीक्षण करेगी और नैनो बबल तकनीक तथा फाइटोरेमेडिएशन से जल शोधन कार्यों का अध्ययन करेगी।
वाराणसी नगर निगम गोरखपुर के जल शोधन मॉडल को अपनाने की योजना में
गोरखपुर नगर निगम की तकनीक से जल शोधन में सफलता, वाराणसी नगर निगम का दौरा तय
मुख्य अभियंता मुईनुद्दीन के नेतृत्व में आने वाली टीम इस अध्ययन के दौरान यह भी आकलन करेगी कि इन तकनीकों को वाराणसी में किस प्रकार लागू किया जा सकता है। गंगा नदी में गिरने वाले नालों के शोधन के लिए यह तकनीक कारगर साबित हो सकती है।
गोरखपुर नगर निगम के मुख्य अभियंता संजय चौहान ने बताया कि नगर निगम ने पांच और अमृत सरोवरों की सफाई के लिए एजेंसी के चयन हेतु ईओआई (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) जारी किया है। यह पहल जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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