महाराष्ट्र (Maharashtra) का सियासी गेम उस समय पूरी तरह पलट गया जब देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने आज चौंकाने वाला ऐलान करते हुए कहा है कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) प्रदेश के नए सीएम होंगे. उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के ज्यादातर विधायकों का समर्थन है और भाजपा एवं 16 अन्य निर्दलीय विधायकों ने उन्हें समर्थन का फैसला लिया है. वह आज शाम को 7:30 बजे ही सीएम पद की शपथ लेंगे. आईए जानते हैं कौन हैं एकनाथ शिंदे जो देवेंद्र फडणवीस की जगह अब महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. कभी शिवसेना के लिए जान न्योछावर कर देने के लिए तैयार रहने वाले एकनाथ शिंदे ने महाविकास अघाड़ी सरकार का वक़्त बदल दिया है. शिवसेना को 42 साल देने के बाद शिंदे ने एक क्षण में सब कुछ छीन लिया है.
कौन हैं एकनाथ शिंदे ?
एकनाथ शिंदे का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. शिंदे ने अपने बचपन में काफी गरीबी देखी. जब वो 16 साल के थे तो उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया. बताया जाता है कि 1980 के दशक में वो बाल ठाकरे के विचारों से काफी प्रभावित हुए. इसके बाद शिंदे, शिवसेना में शामिल हो गए. एकनाथ शिंदे साल 2004 में पहली बार विधायक चुने गए. बाल ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना के बड़े नेताओं में शिंदे को गिना जाने लगा. लेकिन पिछले दो साल में शिंदे की जगह उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को ज्यादा तवज्जो दी जाने लगी, इस बात से एकनाथ शिंदे नाराज हो गए.
बेटा-बेटी को डूबते देख छोड़ दी थी राजनीति
2 जून 2000 की बात है. एकनाथ शिंदे अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ सतारा गए थे. बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए. उस वक्त शिंदे का तीसरा बच्चा श्रीकांत सिर्फ 14 साल का था. एक इंटरव्यू में इस दर्दनाक घटना को याद करते हुए शिंदे ने कहा था, ‘ये मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था. मैं पूरी तरह टूट चुका था. मैंने सब कुछ छोड़ने का फैसला किया, राजनीति भी.’ इस घटना को 22 साल हो चुके हैं.
शिवसेना जॉइनिंग से पहले RSS के शाखा प्रमुख थे शिंदे
एकनाथ के पीए रह चुके इम्तियाज शेख उर्फ ‘बच्चा’ के मुताबिक ऑटो चालक के साथ शिंदे आरएसएस शाखा प्रमुख यानी मुख्य शिक्षक थे. आरएसएस की पृष्ठभूमि से होने के चलते उनका बीजेपी और हिंदुत्व से जुड़ाव है. शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दिघे से प्रभावित होकर उन्होंने शिवसेना जॉइन कर ली. दिघे ही शिंदे के राजनीतिक गुरु थे. शिंदे पहले शिवसेना के शाखा प्रमुख और फिर ठाणे म्युनिसिपल के कॉर्पोरेटर चुने गए. बेटा-बेटी की मौत के बाद जब शिंदे ने राजनीति छोड़ने का फैसला किया, तो दिघे ही उन्हें वापस लाए थे.
एकनाथ शिंदे को मिली अपने गुरु की राजनीतिक विरासत
गौरतलब है कि 26 अगस्त 2001 को शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद दीघे का एक हादसे में निधन हो गया था. उनकी मौत को आज भी कई लोग हत्या मानते हैं. कहा जाता है कि दीघे के निधन से शिवसेना के लिए ठाणे में खालीपन आ गया था और पार्टी का वर्चस्व कम होने लगा था. फिर समय रहते शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को मौका दिया, उन्हें वहां की कमान सौंप दी. शिंदे शुरुआती दिनों से ही आनंद दीघे के साथ जुड़े हुए थे. ठाणे की जनता ने भी एकनाथ शिंदे पर भरोसा जताया और शिवसेना परचम लहरा.
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