किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बारे में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए बड़ा बयान दिया है. धनखड़ ने पूछा है कि किसानों से जो वादे किये गये थे उन्हे निभाया क्यों नहीं गया.उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मंच से कहा कि कि आज अगर किसानों में गुस्सा है तो गुस्से को कम करके आंकना भूल होगी. जो किसान सड़क पर नहीं है, वे भी आज के दिन चिंतित और परेशान हैं. हर व्यक्ति की आय को आठगुना करके ही भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाया जा सकता है. हर व्यक्ति की आय को आठगुना करने के लिए सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का है, किसान कल्याण का है.
उपराष्ट्रपति ने कृषि मंत्री से सवाल किया कि आखिर किसानों से जो लिखित वादे किए गए थे, उन्हें क्यों नहीं निभाया गया. उपराष्ट्रपति के वायरल वीडियो में वे कह रहे हैं कि ‘कृषि मंत्री जी, एक-एक पल भारी है. मेरा आपसे आग्रह है कि मुझे बताइये कि क्या किसानों से वादा किया गया था ? और अगर किया गया था तो उसे निभाने के लिए हम क्या क्या कर रहे हैं ?
कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये,
क्या किसान से वादा किया गया था?
किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया?
वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं?गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है।
कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे… pic.twitter.com/7WawdAu5c9— Vice-President of India (@VPIndia) December 3, 2024
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल करते हुए उपराष्ट्रपति ने पूछा कि ‘मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसानो से वार्ता क्यों नहीं हो रही है. हम किसानों को पुरस्कार देने की बजाय उन्हे उनका हक भी नहीं दे पा रहे हैं.
यह आकलन बहुत संकीर्ण है कि किसान आंदोलन का मतलब सिर्फ उतना हैं जो लोग सड़क पर है। ऐसा नहीं है।
इस देश के अंदर लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा- "जय जवान, जय किसान"। उस "जय किसान" के साथ हमारा रवैया वैसा ही होना चाहिए, जो लाल बहादुर शास्त्री की कल्पना थी।
और उसके अंदर क्या जोड़ा… pic.twitter.com/dFYuLywdpD
— Vice-President of India (@VPIndia) December 3, 2024
आपको बता दें कि एक दिन पहले भी उपराष्ट्रपति ने किसान मुद्दे पर कहा था कि “हमें चिंतन करने की जरूरत है, जो हुआ सो हुआ, लेकिन आगे का रास्ता सही होना चाहिए. विकसित राष्ट्र खेत खलिहानों से बनता है, विकसित राष्ट्र का मार्ग गांवों से होकर जाता है. किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान होना चाहिए.”
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