क्या है अन्नकूट, गोवर्धन पूजा के दिन ही इसे क्यों बनाया जाता है? जानें इसका महत्व…

सभी जगह दिवाली की चकाचौंध शुरू गयी है. घर और दुकानों में झालरें जगमगा रहीं हैं. बाजारों में भीड़ भाड़ होने लगी है. हो भी क्यों न अब कुछ ही दिनों बाद दिवाली का त्यौहार है. अगले हफ्ते में त्योहारों की शुरुआत धनतेरस से होगी. जिसके बाद नरक चौदस, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज भी मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन पूजा वाले दिन अन्नकूट बनाना काफी शुभ होता है. दरअसल, गोवर्धन पूजा में घर के आंगन, छत या बालकनी में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनको अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है और गोवर्धन पर्वत को भी पूजा जाता है.

गोवर्धन पर होती है श्री कृष्णा की पूजा

त्रेतायुग में भगवान श्री कृष्ण के कहने पर बृजवासियों ने भगवान इन्द्र की जगह पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी. क्योंकि गायों को चारा गोवर्धन पर्वत से मिलता था और गायें बृजवासियों के जीवन-यापन का जरिया थीं. तब इंद्रदेव ने नाराज होकर मूसलाधार बारिश की थी और भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बृजवासियों की मदद की थी और उनको पर्वत के नीचे सुरक्षा प्रदान की थी. तब से ही भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाये हुए रूप की पूजा की जाती है. जिसके तहत गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण दोनों की पूजा होती है. भगवान श्रीकृष्ण के रूप में गोवर्धन जी को 56 भोग के साथ ही नाना प्रकार के पकवानों का भोग लगाकर उसका वितरण किया जाता है.

अन्नकूट क्‍या है

अन्नकूट कई तरह के अन्न और सब्जियों के समूह को कहा जाता है. इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार 21, 51, 101 और 108 सब्ज़ियों को मिलाकर एक तरह की मिक्स सब्ज़ी बनाई जाती है जिसको विशेष तौर पर गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को भोग लगाने के लिए बनाया जाता है. इसके साथ ही तरह-तरह के अन्न से तैयार पकवान और मिठाइयों से भी भगवान श्रीकृष्ण यानी की गोवर्धन जी महाराज को भोग लगाने की परम्परा है.

जानें कब है शुभ मुहूर्त

बता दें कि गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है. सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं, तो शाम को इनको अन्नकूट का भोग लगाकर आरती की जाती है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त प्रात: 06 बजकर 36 मिनट से प्रात: 08 बजकर 47 मिनट तक है. तो शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक का है.

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