मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मंगलावर को हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालय आर्डिनेंस 2019 (अम्ब्रेला एक्ट, Umbrella Act ) को मंजूरी दी गयी है. अब प्रदेश के सभी 27 निजी विश्वविद्यालय इसी एक्ट के अधीन आ जाएंगे. राज्यपाल राम नाईक की अनुमति के बाद यह अधिनियम लागू हो जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने ‘द उत्तर प्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटीज एक्ट 2018 का प्रारूप तैयार कर सभी निजी विश्वविद्यालयों के अलावा जन सामान्य से भी सुझाव मांगे थे. सुझाव देने के लिए एक महीने का समय तय किया गया था. इसके बाद उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में निजी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों की बैठक भी हुई. इस तरह सभी सुझावों पर विचार-विमर्श के बाद कैबिनेट ने अम्ब्रेला एक्ट (Umbrella Act) को मंजूरी दी है.
इस अधिनियम के लागू होने से निजी विश्वविद्यालयों में सरकार का दखल बढ़ेगा. वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं मिलने पर सरकार प्रशासक नियुक्त करने से लेकर यूनिवर्सिटी को बंद भी कर सकेगी. साथ ही नियंत्रण के लिए नियम भी बना सकेगी. सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि अभी सभी निजी विश्वविद्यालय अलग-अलग अधिनियमों से स्थापित और संचालित हैं. इससे वहां सरकार के नीतिगत निर्णय लागू कराने, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के मानक लागू करने की प्रक्रिया तय नहीं थी.
आश्वस्त करना होगा राष्ट्रविरोधी गतिविधि न हो
अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि यूनिवर्सिटी को यह आश्वस्त करना होगा कि कैंपस में किसी भी तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं होगी. साथ ही कमजोर वर्ग के छात्रों को 10 प्रतिशत सीटों पर 50 प्रतिशत शुल्क के साथ दाखिला देना होगा. धोखाधड़ी, गबन जैसे मसले पर परिषद की संस्तुति पर जांच अधिकारी नामित होगा. राज्य उच्च शिक्षा परिषद साल में कम से कम एक बार यूनिवर्सिटी का निरीक्षण करेगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर मान्यता वापस लेकर यूनिवर्सिटी को बंद किया जा सकेगा.
आसान हो जाएगा निजी विवि खोलना
शासन का कहना था कि निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने एवं निजी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अलग-अलग एक्ट के माध्यम से निजी विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रक्रिया को समाप्त करते हुए ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम’ के नाम से एकल एक्ट बनाने का निर्णय लिया गया है. निजी विश्वविद्यालयों का अलग-अलग एक्ट होने से उनकी प्रबंधकीय व्यवस्था भी अलग-अलग है. किसी विश्वविद्यालय में चांससर का पद बना लिया गया है तो किसी में अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक का. इसी तरह नियुक्तियों की प्रक्रिया भी अलग बनाई गई है. कुलपति की नियुक्ति के लिए एक जैसी व्यवस्था नहीं है. हालांकि इस पद के लिए शैक्षिक अर्हता वही है जो राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए निर्धारित है.
प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम से संचालित होते हैं. इस कारण इन सभी विश्वविद्यालयों में नीतिगत फैसले कुलपति की अध्यक्षता वाली कार्य परिषद के माध्यम से लिए जाते हैं. कार्य परिषद में प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि भी नामित होते हैं. शैक्षिक मामलों खासकर पाठ्यक्रम परिवर्तन या शोध प्रक्रिया में संशोधन आदि के संबंध में कोई भी निर्णय विद्या परिषद के माध्यम से लिए जाते हैं. निजी विश्वविद्यालयों में ऐसी एकरूपता नहीं है. हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग के एक प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि निजी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता संबंधी मानक व राज्य सरकार की नीति संबंधी निर्णय पूरी तरह से लागू कराए जाएंगे. माना जा रहा है कि नए एक्ट में ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं.
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