Mission Shakti का चौथा चरण शुरू करेगी योगी सरकार, सुरक्षा, शिक्षा, सेल्फ डिफेंस और रोजगार पर रहेगा जोर

Mission Shakti: उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराध को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपने अफसरों को जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने के आदेश दिए हैं. योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में महिला सुरक्षा पर जिस तरह काम किया, उसका सीधा असर चुनावों में देखने को मिला. 2022 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और पिछली बार से 5.65 प्रतिशत ज्यादा वोट किया, जिससे भाजपा की राह आसान हुई. भाजपा ने 37 सालों बाद फिर से यूपी की सत्ता में वापसी की.

अब दूसरी पारी में योगी आदित्यनाथ मिशन शक्ति के चौथे चरण की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसमें इस बार सिर्फ सुरक्षा ही नहीं बल्कि शिक्षा, रोजगार, स्वावलम्बन और सेल्फ डिफेंस भी शामिल है. कामकाजी महिलाओं के वर्क प्लेस पर पेश आने वाली दिक्कतों को भी इस बार ध्यान में रखा गया है.

सभी विभागों को इस बाबत अपने यहां काम करने के आदेश जारी हो चुके हैं. मुख्य सचिव ने महिलाओं के लिए एक पोर्टल बनाने का आदेश भी जारी किया है जिस पर सारी सूचनाएं एक जगह ही मिल जाएंगी. चूंकि अफसर ये भली भांति जानते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मिशन शक्ति की समीक्षा करते हैं इसलिए युद्ध स्तर पर इस योजना को लेकर काम किया जा रहा है.

…ताकि लड़कियां भी देख सकें सपने
इसी क्रम में शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी प्राइमरी स्कूलों और जूनियर स्कूलों की एक दीवार को महिला नायिकाओं को समर्पित किया है, इन दीवारों पर रानी लक्ष्मी बाई, अहिल्या बाई होल्कर, वीरांगना ऊदा देवी, सावित्री बाई फुले, कल्पना चावला, पीटी ऊषा जैसी रोल मॉडल्स की संघर्ष गाथा को पेंट के जरिए उकेरा जाएगा ताकि इन स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियां भी सपने देख सकें, ऊंची उड़ान के बारे में सोच सकें. ये कार्यक्रम मिशन शक्ति के तहत किया जाएगा जिसका आयोजन 16 जून से 30 जून तक किया जाएगा. इन सारी महान महिला योद्धाओं की पेंटिग को दीवारों पर उतारते वक्त बच्चों की भी मदद ली जाएगी ताकि बच्चे शुरू से ही इस कार्यक्रम से जुड़ाव महसूस करें. स्कूलों में इससे संबंधित महिला सशक्तिकरण की प्रदर्शनी भी लगायी जाएगी जिसमें सरकार की महिलाओं को लेकर चल रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया जाएगा.

अभिभावकों को कार्यक्रमों में बुलाने पर जोर
राज्य परियोजना निदेशक अनामिका सिंह का कहना है कि हमारा प्रयास रहेगा कि अभिभावकों को इन कार्यक्रमों में बुलाया जाए. लिंगभेद से लेकर, कुपोषण, बच्चियों की सुरक्षा जैसे मामलों के बारे में उन्हें बताया जाएगा. 15 जून तक ऑनलाइन सेल्फ डिफेंस की कक्षाएं भी चलायी जाएंगी. 1 जुलाई से 31 जुलाई तक स्थानीय महिलाओं को बुलाकर उनके अनुभवों के आधार पर नई नई चीजें इस कार्यक्रम में जोड़ी जा सकती हैं. 16 जुलाई से 30 जुलाई तक ब्लाक स्तर तक खेलकूद, जूडो कराटे, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा ताकि बच्चे ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस कार्यक्रम से जुड़ें.

अशिक्षित न रहे एक भी लड़की 
योगी सरकार का प्रयास है कि एक भी लड़की बिना पढ़ाई के ना रहे, इसीलिए लड़कियों का एडमिशन ज्यादा संख्या में हो इसके लिए स्कूलों को पुरस्कार भी दिया जाएगा. स्कूल चलो अभियान की शुरुआत इसी मंशा के साथ हुई है, जिसके तहत भीख मांगने वाली, ईंट भट्टों पर काम करने वाली, आर्थिक रूप से पिछड़ी बच्चियों के स्कूल एडमिशन पर सरकार जोर दे रही है. जो स्कूल ज्यादा एडमिशन करेगा उसे राज्य सरकार की तरफ से पुरस्कार भी मिलेगा.

महिलाओं के लिए बन रहा एक पोर्टल
महिलाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार एक ऐसा पोर्टल भी बना रही है जिस पर हर विभाग महिलाओं के लिए उसके पिटारे में क्या खास है उसकी जानकारी के साथ ही महिला सुरक्षा से जुड़ी हुई हर जानकारी को साझा करेगा. मिशन शक्ति के चौथे चरण में वर्क प्लेस में सेक्सुअल हैरेसमैंट को लेकर कमेटी भी बनायी जाएगी, जो देखेगी कि कामकाजी महिलाओं को वर्क प्लेस पर किसी तरह की दिक्कत तो नहीं आ रही है.हेल्पलाइन नंबर भी सभी शैक्षणिक संस्थानों में उपलब्ध कराए जाएंगे.

18 माह में 35 दोषियों को मिली फांसी
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि 18 महीनों के भीतर हमने 35 दोषियों को फांसी की दिलवाई है. ये सारे अभियुक्त महिला अपराध के मामलों में दोषी थे. महिलाओं के विरूद्ध अपराध के मामलों में कुल 11,212 दोषियों को अलग अलग मामलों में सजा मिली है. महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध के मामलों में सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश 2019 से टॉप पर बना हुआ है.

सजा दिलाने में यूपी का रिकॉर्ड बेहतर
गौरतलब है कि अभियोजन विभाग के अधिकारियों को हर समीक्षा बैठक में इस बाबत ताकीद की जाती है. आंकड़ों की बात करें तो 1 जनवरी 2022 से 31 मार्च 2022 तक पांच अपराधियों को फांसी की सजा मिल चुकी है. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराध में सजा दिलाने में यूपी का रिकॉर्ड अन्य राज्यों से काफी बेहतर है. सजा दिलाने के मामले में 61 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश पूरे देश में नंबर वन है. एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडे का मानना है कि सजा दिलाने में यूपी पुलिस की बढ़ी हुई स्पीड के पीछे बड़ा कारण केस का डिजिटाइजेशन है जिसके चलते कोर्ट की सुनवाई में तेजी आई है. डिजिटल इंडिया का लाभ अपराधियों को सजा दिलाने में भी हो रहा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फारेंसिक रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट के जरिए ई-प्रासिक्यूशन तेज होता है. सारी जानकारी एक जगह ई-पोर्टल पर मिल जाती है, कोर्ट को भी आसानी रहती है. ई-पोर्टल पर यूपी ने 77 लाख केस की जानकारी अपलोड की है जबकि मध्य प्रदेश ने 20 लाख और गुजरात ने 4.4 लाख.

महिलाओं में जागृत हुई सुरक्षा की भावना
आपको बता दें कि मिशन शक्ति की शुरुआत 17 अक्टूबर 2020 को हुई थी और तीसरा चरण 10 अप्रैल 2022 तक चला था. इस दौरान 31 अभियुक्तों को मृत्युदंड मिल चुका है, 1004 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है, 938 अभियुक्तों को दस वर्ष से अधिक समय की जेल की सजा हुई है, 2833 अभियुक्त 10 वर्ष से कम की सजा पाएं हैं.ये सारे मामले महिला अपराध के थे जिन्हें फास्ट ट्रैक पर चलाकर अपराधियों को सजा दिलाई गई.

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