उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) दंगाइयों से क्षतिपूर्ति के लिए कानून को और सख्त बनाने के साथ ही दावा प्राधिकरणों के अधिकार बढ़ाने जा रही हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक 2022 गुरुवार को विधानसभा में पेश किया गया।
प्रदेश सरकार ने सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर शिकंजा करने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इनके तहत अब किसी हिंसा के दौरान लोक अथवा निजी संपत्ति की क्षतिपूर्ति के साथ घटना को संभालने तथा कानून-व्यवस्था बहाल करने में लगे पुलिस व प्रशासन के खर्च को भी जोड़ा जाएगा।
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संशोधित विधेयक में यह प्रावधान कर दिया गया है कि उचित कारण होने पर दावा अधिकरण, दावा याचिका में विलंब को माफ कर सकता है। इसके साथ ही वह किसी व्यक्ति से प्राप्त सूचना पर या स्वयं अपनी जानकारी पर स्वप्रेरणा से संज्ञान ले सकता है।
संशोधन विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि कार्यालयाध्यक्ष या निजी संपत्ति का स्वामी के बाद उसके दावेदार भी दावा याचिका दायर कर सकेंगे। क्षतियों के निर्धारण में लोक संपत्ति व निजी संपत्ति के साथ ही अब वैयक्तिक क्षति को भी शामिल कर दिया गया है।
वहीं, यूपी में महिलाओं के प्रति गंभीर अपराध बलात्कार में अग्रिम जमानत नहीं होगी। इसके अलावा पाक्सो एक्ट के तहत होने वाले अपराधों में अग्रिम जमानत नहीं होगी। इससे संबंधित दंड प्रक्रिया संहिता उत्तरप्रदेश संशोधन विधेयक 2022 सदन के पटल पर रखा गया।
सरकार ने महिला अपराधों के प्रति जीरो टालरेंस नीति के तहत यह निर्णय लिया। इससे संबंधित विधेयक दोनों सदनों से पास करा इसे लागू किया जाएगा। इसके तहत महिलाओं व बालकों व बालिकाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति के अनुसरण में यौन अपराधों में जैविक साक्ष्य के त्वरित रूप से एकत्र करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है।
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