देवरिया शेल्टर होम मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट रविवार को शासन को सौंप दी है. रिपोर्ट में मान्यता स्थगित होने से लेकर छापामारी तक की पुलिस-प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाइयों का उल्लेख है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही शासन सोमवार को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखेगा. माना जा रहा है कि इससे पहले शासन इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई भी कर सकता है. इसे लेकर रविवार को पूरे दिन पुलिस महकमे में खलबली मची रही.
मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान के अंतर्गत संचालित बालगृह बालिका पर पांच अगस्त की रात हुई पुलिसिया कार्रवाई से पूरे देश-प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है. देह व्यापार से मामला जुड़ने से शासन-प्रशासन भी गंभीर है. प्रदेश सरकार ने सीबीआई को जांच सौंपते हुए एक एसआईटी भी गठित की है.
एडीजी क्राइम संजय सिंघल के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय एसआईटी ने शुक्रवार को जांच शुरू करते हुए घटना से जुड़े सभी रिकॉर्ड जब्त किए और कई अफसरों से पूछताछ की. शनिवार दोपहर को एडीजी लखनऊ रवाना हो गए थे, जबकि दो सदस्य एसपी विजिलेंस भारती सिंह और पीटीसी मेरठ की एसपी पूनम अभी घटना के अन्य पहलुओं की पड़ताल कर रही हैं.
विभागीय सूत्रों के मुताबिक रविवार को एडीजी क्राइम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. इसमें उन्होंने कई ऐसे तथ्य दिए हैं, जो स्थानीय पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. इसी रिपोर्ट के आधार पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखा जाएगा.
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि कोर्ट में अपने पक्ष को मजबूती से रखने के लिए शासन लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई कर सकता है. इससे पुलिस महकमे के लोग सहमे हुए हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले में चूक भले ही बड़े स्तर पर हुई हो, लेकिन अंजाम तो मातहतों को ही भुगतना होगा.
बालगृह बालिका कांड की हकीकत चाहे जो भी हो लेकिन मुद्दाविहीन को विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का बड़ा मौका दिया है. लिहाजा सरकार पूरे मामले में बेहद गंभीर है. इसी वजह से तत्काल डीएम को हटा दिया गया. पूर्व डीपीओ को निलंबित किया और दो अन्य प्रभारी डीपीओ पर कार्रवाई की संस्तुति की गई.
मामले को लेकर सीएम योगी सख्त
तफ्तीश के लिए अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में दो सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी को घटना के अगले दिन ही देवरिया भेज दिया गया. बिना समय गंवाए सीबीआई को जांच सौंपी और एसआईटी भी गठित कर दी. यह बात स्पष्ट है कि सरकार किसी भी स्तर की चूक को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है. सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त मिजाज से भली-भांति वाकिफ अफसर-कर्मचारी बेचैन हैं. हर किसी का यही मानना है कि गृह मंडल की इस घटना में वह किसी को बख्शेंगे नहीं.
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