मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया हलाला का समर्थन, बताया ‘कुरान सम्मत’

 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड ने विवाह संबंधित इस्लामिक प्रथा ‘निकाह हलाला’ का समर्थन किया है। साथ ही बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रथा कुरान सम्मत है और इसको चुनौती नहीं दी जा सकती। बोर्ड का यह वक्तव्य उस समय आया है जब देश का सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है।

 

एक रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को बोर्ड के सदस्य एक मीटिंग के बाद अल्पसंख्यकों से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे। इसी दौरान बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा निकाह हलाला को चुनौती नहीं दी जा सकती क्योंकि ये पुरी तरह कुरान सम्मत है।

 

बोर्ड के सेक्रेटरी और वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘ निकाह हलाला एक प्रक्रिया है जिसके हिसाब से अगर आपने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया तो आप उससे तब तक दोबारा विवाह नहीं कर सकते जब तक वो एक बार फिर किसी और से शादी न कर ले। साथ ही वह अपने दूसरे पति के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए, यह बेहद जरूरी है कि पत्नी का दोबारा तलाक हो. यह कुरान सम्मत है और बोर्ड का इससे अलग कोई विचार नहीं है।’

 

निकाह हलाला पर चल रैकेट्स में महिलाओं के शोषण को लेकर एक सवाल के जवाब में जिलानी ने कहा, ‘ हलाला के उद्देश्य से किया गया निकाह मान्य नहीं है। ऐसे दोषियों को कानून सम्मत सजा मिलनी चाहिए।

 

गौरतलब है कि देशभर में निकाह हलाला की प्रक्रिया को क्रूर मानते हुए मुस्लिम महिलाओं की तरफ से विरोध दर्ज कराया गया है। हलाला और तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी बीच बोर्ड का यह बयान मुस्लिम महिलाओं को झटका देने वाला साबित हो सकता है क्योंकि पर्सनल लॉ बोर्ड देश में मुसलमानों के अगुवा के तौर पर जाना जाता है।

 

रविवार को हुई मीटिंग के दौरान बोर्ड ने शरिया अदालतों पर भी फैसला लिया, इस मीटिंग में बोर्ड ने तय किया है कि देश के 10 शहरों में शरिया अदालतें खोली जाएंगी।