कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रोजाना ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ने वाले दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के बारे में अब सामने आया कि उन्होंने जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन मंगा ली थी. यह ऑक्सीजन उन्होंने तब ली थी, जब देश के तमाम राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मचा हुआ था. एक तरफ जहां यूपी समेत 12 राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से मरीज छटपटा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार जरूरत से अधिक ऑक्सीजन लिए बैठे रही. दरअसल, दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी का मसला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंचा था, जिसे लेकर कोर्ट ने एक पैनल गठित की थी. अब इस पैनल का दावा है कि दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी उपसमिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन ली, उससे उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों को केंद्र सरकार से की जाने वाली आपूर्ति प्रभावित हुई. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यूपी में अप्रैल-मई में कोरोना जब चरम पर था, उस समय हर दिन आक्सीजन की जरूरत 200 मीट्रिक टन से बढ़कर 960 मीट्रिक टन से लेकर 1000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई. 825 मीट्रिक टन केंद्र सरकार से मांग की गई, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा अचानक ज्यादा आक्सीजन का अतिक्रमण कर लेने से यहां 825 मीट्रिक टन की बजाए 600 मीट्रिक टन ही आक्सीजन केंद्र सरकार ने दी. योगी सरकार ने हालात संभालने के लिए अलग से व्यवस्था की. आननफानन आक्सीजन प्लांट को मंजूरी व आक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था की गई. उद्यमियों ने फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप कर इंडस्ट्रियल आक्सीजन की आपूर्ति अस्पतालों को की.
ध्यान रहे कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ऑक्सीजन संकट पर हो-हल्ला मचाने के लिए 5 मई को दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की कड़ी फटकार लगाई थी. साथ ही, उसने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि दिल्ली को 700 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की आपूर्ति की जाए. तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि फॉर्म्युले के मुताबिक दिल्ली को 414 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की ही जरूरत है.
वहीं इस मामले को लेकर योगी सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मानवीय आधार पर सोचना चाहिए था कि महामारी के दौरान सभी की बेहतर व्यवस्था हो. उस मौके पर भी जिस तरह आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने आक्सीजन की जरूरत का मिथ्या आकलन किया, उससे दूसरे राज्यों को मुसीबत झेलनी पड़ी. अगर जरूरत ज्यादा होती तो लेते, इसमें किसी को कोई समस्या नहीं थी लेकिन यह तो कतई उचित नहीं था कि सही आकलन न कर आवश्यकता बिना ही अधिक आक्सीजन ली गई जिससे दूसरे राज्यों की आपूर्ति प्रभावित हुई.
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