उत्तर प्रदेश में कुछ ही दिन पहले जीका वायरस का एक मरीज मिला था. पर, अब इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. अगर सिर्फ कानपुर की बात करें तो शहर में जीका के कुल संक्रमितों की संख्या 10 हो गई है. नए संक्रमित पोखरपुर और एयरफोर्स के बताए जा रहे हैं. टीमें बचाव कार्य के लिए पहुंच गई हैं. एक गर्भवती महिला को आइसोलेट किया गया है. डीएम ने प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर अधिकारियों के साथ जायजा लिया. इसके साथ ही क्षेत्र में हाई अलर्ट कर दिया गया है.
शहर भर में हड़कंप
जानकारी के मुताबिक, कानपुर में 15 दिन पहले एक मरीज में जीका वायरस की पुष्टि हुई थी. इसके बाद चार सौ मीटर के दायरे में रहने वाले और पॉजिटिव मरीज के सीधे संपर्क में आने वालों की जांच कराई गई. अब नेशनल वायरोलॉजी सेंटर पुणे की रिपोर्ट में कई और मरीजों में संक्रमण की पुष्टि होते ही हड़कंप मच गया है. इसके साथ ही सिर्फ कानपुर जिले में कुल मरीजों की संख्या 10 पहुंच गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य महकमा हैरत में पड़ गया है.
महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. वेदव्रत सिंह ने कानपुर में विशेष निगरानी के निर्देश दिए हैं. यहां पॉजिटिव पाए गए मरीज जिन इलाके में गए हैं, वहां के बारे में भी जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है. तीन किलोमीटर के दायरे को प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. इस क्षेत्र में जिन्हें भी बुखार होगा, उनकी जीका से संबंधित जांच कराई जाएगी. इसी तरह अन्य जिलों के सीएमओ व सीएमएस को बुखार के मरीजों की स्क्रीनिंग बढ़ाने, लक्षण होने पर जीका वायरस की जांच के लिए सैंपल भेजने के निर्देश दिए हैं.
मच्छर के काटने से होता है जीका वायरस
जानकारी के मुताबिक, जीका वायरस का संवाहक एडीज एजेप्टी नामक मच्छर होता है. इसका मच्छर भी दिन के समय ही काटता है. यह वायरस गर्भवती एवं महिलाओं के लिए अधिक घातक और खतरनाक होता है. संक्रमण होने पर वायरस गर्भ में पल रहे बच्चे के ब्रेन पर सीधे अटैक करता है. शरीर में जीका वायरस के प्रवेश करने के तीन से 14 दिन के भीतर लक्षण दिखने लगते हैं. जीका वायरस के लक्षण निम्न हैं-
-सामान्य से तेज बुखार
-शरीर में छोटे-छोटे लाल दाने उभर आना
-आंखों में जलन और लगातार चिपचिपन रहना
-तेज सिरदर्द के साथ बेचैनी भी होना
-जीका के संक्रमण से हो सकती गंभीर समस्या
-चलने फिरने में लाचारी आ जाती है
-मांसपेशियों और जोड़ों में भीषण दर्द व ऐंठन
जीका वायरस से बचाव के तरीके
-जीका वायरस से बचाव के लिए मच्छरों के काटने से बचें
-इसके लिए शरीर का अधिकतम हिस्सा ढक कर रखें
-खुले में सोएं तो मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
-घर और आस पास भी साफ सफाई का ख्याल रखें
-मच्छरों को बढ़ने से रोकने के लिए ठहरे पानी को इकट्ठा न होने दें
-बुखार, गले में खराश, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण नजर आएं तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं
-भरपूर आराम के साथ ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें
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