त्रिदेवों का निवास, समुद्र मंदन से उद्भव, जानिए क्या है अक्षय़ वट का धार्मिक महत्व जिसका PM मोदी ने किया पूजन-अर्चन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को तीर्थराज प्रयागराज (Prayagraj) में स्थित अक्षय वट (Akshay Vat) का दर्शन कर पूजन-अर्चन किया। इस दौरान उन्होंने महाकुम्भ-2025 (Mahakumbh 2025) के सफल आयोजन, वैश्विक कल्याण, विश्व शांति, भारत के अरुणोदय और तीर्थराज प्रयागराज आने वाले करोड़ों भक्तों के पुण्य की वृद्धि के लिए प्रार्थना की। संगम नोज पर यजमान के रूप में संगम अभिषेक करने के बाद पीएम मोदी ने अक्षय वट का दर्शन किया और वहां पूजा अर्चना की।

अक्षय वट पर पूजन करते हुए पीएम मोदी ने महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन के लिए संकल्प लिया और समस्त तीर्थों का आह्वान करते हुए मंगलकामनाओं की पूर्ति के लिए आस्था का दीप जलाया। इसके बाद उन्होंने अक्षय वट की प्रदक्षिणा की और समस्त विश्व के कल्याण की कामना की। पीएम मोदी ने केवल पूजा-अर्चना की, बल्कि अक्षय वट के आसपास किए गए कार्यों का निरीक्षण भी किया। उन्होंने विशेष रूप से महाकुम्भ के दौरान यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन सुनिश्चित करने के प्रयासों की जानकारी ली।

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भारत के अक्षय पुण्य की कामना
अक्षय वट को तीर्थराज प्रयागराज के रक्षक श्रीहरि विष्णु के वेणी माधव रूप का प्रतीक माना जाता है। अक्षय वट के कॉरीडोर को महाकुम्भ-2025 के पूर्व सुव्यवस्थित करने का कार्य पीएम मोदी के विजन और सीएम योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में किया गया है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने भारत के अक्षय पुण्य की वृद्धि और भारत के विश्वगुरु के रूप में उद्भव को अक्षुण्ण बनाए रखने की कामना की।

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अक्षय वट का धार्मिक महत्व
अक्षय वट के बारे में मान्यता है कि इसकी जड़ों में सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा, मध्य भाग में श्रीहरि विष्णु और अग्र भाग में महादेव शिव का वास है। समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में अक्षय वट को कल्पवृक्ष के अंश के रूप में भी पूजा जाता है। पुराणों में वर्णित है कि अक्षय वट ने मुग़ल और ब्रिटिश काल में पराभव का सामना किया, लेकिन वह हमेशा अक्षुण्ण रहा।

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यह भी प्रसिद्ध है कि प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने से पूर्व पुष्पक विमान से आते हुए अक्षय वट के दर्शन किए थे, साथ में माता सीता और भाई लक्ष्मण भी थे। अक्षय वट पर इन तीनों के विग्रह का भी पूजन होता है।

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इस पूजा-अर्चना में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहे। अक्षय वट के इस पूजन-अर्चन की प्रक्रिया ने धार्मिक महत्व और महाकुम्भ-2025 के आयोजन को और भी पवित्र और ऐतिहासिक बना दिया।

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