मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर : एनेस्थेटिस्ट की भूमिका केवल ऑपरेशन थिएटर तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे आईसीयू से लेकर आपातकालीन स्थितियों में जीवनरक्षक हस्तक्षेप तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी क्रम में एम्स गोरखपुर के एनेस्थीसिया विभाग द्वारा एक विशेष सीएमई (CME) और वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें 70 से अधिक चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में एम्स नागपुर, एम्स रायबरेली, बीएचयू, बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एयरफोर्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने अपने बहुमूल्य अनुभव साझा किए और चिकित्सकों को गंभीर रोगियों की देखभाल एवं उन्नत जीवनरक्षक तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।
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व्यावहारिक प्रशिक्षण और महत्वपूर्ण व्याख्यान
कार्यक्रम के दौरान चिकित्सकों को गंभीर मरीजों की देखभाल एवं जीवनरक्षक तकनीकों पर महत्वपूर्ण प्रशिक्षण दिया गया। इसमें प्रयोगात्मक सत्र और विशेषज्ञ व्याख्यान दोनों शामिल रहे।
प्रयोगात्मक सत्र में सिखाई गई जीवनरक्षक तकनीकें:
– *सेंट्रल वेनस कैथेटर इनसर्शन* – रक्त संचार बनाए रखने की आवश्यक प्रक्रिया
– *इंटरकोस्टल ड्रेनेज* – फेफड़ों में तरल या वायु निकालने की तकनीक
– *ब्रेन हेमरेज में महत्वपूर्ण जांच (ONSD, TCD)* – मस्तिष्क में रक्तस्राव का शीघ्र निदान
– *ट्रेकियोस्टोमी और ब्रोंकोस्कोपी* – सांस की नली बाधित होने पर जीवनरक्षक हस्तक्षेप
आमंत्रित और संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान:
– फेफड़े और हृदय की आपातकालीन प्रक्रियाएं – प्रो. विक्रम वर्धन
– गंभीर मरीजों में रक्त संचार की निगरानी – डॉ. भूपेंद्र सिंह
– सिर की चोट और ब्रेन हेमरेज की जांच (ONSD, TCD) – डॉ. कालीचरण दास
– सांस की नली बंद होने पर जीवनरक्षक हस्तक्षेप (क्रिकोथायरोटॉमी, पर्क्युटेनियस ट्रेकियोस्टोमी) – प्रो. यशपाल सिंह
– फेफड़ों और दिल की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड – डॉ. एन. के. जोशी
– एयरवे अल्ट्रासाउंड – डॉ. संतोष कुमार शर्मा
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एम्स गोरखपुर की एनेस्थीसिया टीम की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में एम्स गोरखपुर के एनेस्थीसिया विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों की उल्लेखनीय भागीदारी रही, जिनमें शामिल हैं:
– डॉ. संतोष शर्मा
– डॉ. भूपेंद्र सिंह
– डॉ. अंकिता कबी
– डॉ. विजेता बाजपेई
– डॉ. प्रियंका द्विवेदी
– डॉ. गणेश निमजे
– डॉ. सीमा
– डॉ. रवि
– डॉ. सोनम
कार्यक्रम के दौरान डॉ. संतोष शर्मा द्वारा आयोजित मेडिकल क्विज़ में सभी प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे ज्ञानवर्धन के साथ-साथ एक शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा का भी माहौल बना।
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संस्थान की कार्यकारी निदेशक और विभागाध्यक्ष की सराहना
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक, मेजर जनरल प्रो. डॉ. विभा दत्ता ने एनेस्थीसिया विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन मरीजों की बेहतर देखभाल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कार्यक्रम के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रम वर्धन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और गंभीर मरीजों के जीवनरक्षक उपचार में एनेस्थेटिस्ट की अहम भूमिका को रेखांकित किया।
निष्कर्ष
एम्स गोरखपुर द्वारा आयोजित यह सीएमई और वर्कशॉप नवीनतम चिकित्सा तकनीकों के प्रशिक्षण और उन्नत जीवनरक्षक प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। यह पहल भविष्य में मरीजों की बेहतर देखभाल, त्वरित उपचार और जटिल स्थितियों में त्वरित निर्णय लेने की दक्षता को और सशक्त करेगी।
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