मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। वृंदावन और ब्रज क्षेत्र में होली का उत्सव विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहां की परंपराएं और रंगारंग कार्यक्रम हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। 2025 में यह उत्सव 40 दिनों तक मनाया जा रहा है, जो बसंत पंचमी से शुरू होकर रंग पंचमी तक चलता है।
उत्सव की शुरुआत और प्रमुख कार्यक्रम :
28 फरवरी 2025 : महा शिवरात्रि के अवसर पर बरसाना के लाडलीजी मंदिर से पहली होली शोभायात्रा निकाली गई, जिससे उत्सव का शुभारंभ हुआ।
7 मार्च 2025 : बरसाना में लड्डू होली का आयोजन किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे पर लड्डू फेंककर उत्सव मनाया।
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8 मार्च 2025 : बरसाना में लट्ठमार होली खेली गई, जिसमें महिलाएं पुरुषों को लाठियों से परंपरागत रूप से होली खेलती हैं।
9 मार्च 2025 : नंदगांव में लट्ठमार होली का आयोजन हुआ, जहां राधा-कृष्ण की लीलाओं का मंचन किया गया।
10 मार्च 2025 : वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली मनाई गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने फूलों की पंखुड़ियों से एक-दूसरे को रंगा।
आगामी कार्यक्रम :
13 मार्च 2025 : : होलिका दहन का आयोजन फालेन और ब्रज क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर किया जाएगा, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
14 मार्च 2025 : धुलेंडी के दिन रंगों की होली खेली जाएगी, जिसमें लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल लगाकर उत्सव मनाएंगे।
15 से 22 मार्च 2025 : बलदेव के दाऊजी मंदिर और अन्य स्थानों पर हुरंगा समारोह आयोजित होगा, जहां भाभी और देवर के बीच रंगों की मस्ती देखने को मिलेगी।
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उत्सव की विशेषताएं
ब्रज की होली की विशेषता यहां की विविध परंपराएं हैं, जैसे लट्ठमार होली, फूलों की होली, लड्डू होली और हुरंगा। इन सभी आयोजनों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का जीवंत चित्रण होता है, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है। इन कार्यक्रमों में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटक भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जिससे ब्रज क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं का वैश्विक प्रसार होता है।
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