ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध (Iran-Israel War) अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे पर घातक हमले तेज कर दिए हैं, जिनमें अब अंतरराष्ट्रीय कानूनों से प्रतिबंधित हथियारों का भी प्रयोग हो रहा है। ईरान ने हाल ही में इजराइल के खिलाफ क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया, जिससे भारी तबाही हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मिसाइल लगभग चार मील की ऊंचाई पर जाकर फटी, जिससे इसके अंदर मौजूद करीब 20 छोटे बम लगभग पांच मील के क्षेत्र में फैल गए। इन बमों ने नागरिक इलाकों को निशाना बनाया, जिससे युद्ध की भयावहता और बढ़ गई है।
इजराइली सेना ने तेहरान के लवेजान में की सैन्य कार्रवाई
गौरतलब है कि क्लस्टर बमों के उपयोग पर 2008 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने की संधि की गई थी, जिसे 111 देश और 12 संगठनों ने स्वीकार किया है। हालांकि, ईरान, इजराइल और अमेरिका ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ईरानी हमले के जवाब में इजराइली सेना ने तेहरान के लवेजान इलाके में सैन्य कार्रवाई की। यह इलाका इसलिए खास माना जाता है क्योंकि यहां ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का बंकर स्थित होने की आशंका है।
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खामेनेई को बताया आधुनिक हिटलर
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खामेनेई को ‘आधुनिक हिटलर बताते हुए कहा कि उनका देश ईरान के सभी परमाणु ठिकानों को ध्वस्त करने में सक्षम है। इसी कड़ी में इजराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने भी खामेनेई को चेतावनी देते हुए कहा कि इजराइल उसके वजूद को खत्म करने से पीछे नहीं हटेगा।
वैज्ञानिक संस्थान पर मिसाइल हमला
ईरान की ओर से इजराइल के एक प्रमुख वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र को निशाना बनाया गया, जो जीवन विज्ञान, भौतिकी और आणविक अध्ययन जैसे क्षेत्रों में अग्रणी है। इस हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन संस्थान की कई प्रमुख प्रयोगशालाएं नष्ट हो गई हैं।
आणविक तंत्रिका विज्ञान और कोशिका जीवविज्ञान विभागों को भारी नुकसान पहुंचा है। प्रोफेसर ओरेन शुल्डिनर की प्रयोगशाला भी हमले की चपेट में आ गई, जिससे वर्षों की वैज्ञानिक मेहनत पर असर पड़ा है।
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नागरिकों की सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रयास तेज
दोनों देशों में बढ़ते संघर्ष के बीच दुनिया के कई देश अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में जुटे हैं। हवाई, जमीनी और समुद्री मार्गों से निकासी की जा रही है, हालांकि वेस्ट एशिया में हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण उड़ानों पर असर पड़ा है।
कई सरकारें वैकल्पिक सड़क मार्गों से अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं, जहां से हवाई यात्रा संभव हो सके। युद्ध की शुरुआत के बाद से अब तक हजारों विदेशी नागरिक सुरक्षित बाहर निकल चुके हैं।
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