सावधान! इन वजहों से आपका बच्चा हो सकता है डिप्रेशन का शिकार

सोशल: आज के समय में डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जो वयस्‍कों के साथ-साथ बच्चों को भी काफी प्रभावित करती है. बच्चे कई बार बहुत प्रेशर में होते हैं लेकिन वो ये बताने से कतराते हैं की उन्हें क्या समस्या है. दुःखी रहते हुए वो अपनी बात किसी से शेयर नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर घुटते हैं जो उनके डिप्रेशन का कारण बनता है. कई बार बच्चा उदास रहता है और यही उदासी उनके डिप्रेशन का कारण बनने लगती है.


डिप्रेशन बहुत ही गंभीर बीमारी की तरह है जिसका ईलाज तो मौजूद है लेकिन इसकी नौबत ही क्यों आने दिया जाए. अगर आपको भी अभी तक लगता था कि बच्‍चों में डिप्रेशन नहीं हो सकता है जरा यहां बताई गई बातों पर गौर जरूर करें.


Depression in children, it can affect their social skills and ...

बच्‍चों में डिप्रेशन के लक्षण एवं संकेत-


चिड़चिड़ापन या गुस्‍सा आना, लगातार दुखी या निराशा महसूस होना
लोगों से बात करना बंद कर देना
रिजेक्‍ट होने का डर रहना, भूख कम या ज्‍यादा लगना
ज्‍यादा या कम नींद आना
रोने का मन करना, ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत होना
थकान और एनर्जी कम महसूस होना
पेट दर्द या सिरदर्द रहना
कुछ भी काम करने का मन न करना
मन में एक अपराधबोध महसूस होना
सुसाइड करने या मरने के विचार आना


आखिर क्‍यों होता है बच्‍चों में डिप्रेशन-


कई बच्चों में यह देखा गया है कि बहुत ज्यादा तंग हो जाने और पढाई के प्रेशर के कारण भी उनमें डिप्रेशन की समस्या होने लगती है. स्‍कूल में बच्‍चे को पनिशमेंट देने पर उसके आत्‍म-सम्‍मान में कमी आती है और लगातार स्‍ट्रेस में रहने की वजह से वो डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच जाता है. वहीं बार-बार पड़ रहे किसी दबाव के कारण भी बच्‍चा इस स्थिति में पहुंच सकता है. अब ये प्रेशर पढ़ाई का भी हो सकता है और किसी अन्‍य चीज का भी.


परिवार में डिप्रेशन की हिस्‍ट्री-


जिस परिवार में डिप्रेशन का माहौल होता है वहां बच्चों में डिप्रेशन होने का खतरा ज्यादा होता है. वहीं ऐसा जरूरी नहीं है कि जिन बच्‍चों की अवसाद की फैमिली हिस्‍ट्री न हो, उन्‍हें कभी डिप्रेशन हो ही नहीं सकता है. अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्‍चे में अवसाद का खतरा है तो जरा करीब से उसके काम, भावनाओं और व्‍यवहार पर ध्‍यान दें.


जीवनशैली में बदलाव-


वयस्‍कों की तरह बच्‍चे इतनी जल्‍दी बदलावों को स्‍वीकार नहीं कर पाते हैं. नए घर या स्‍कूल में जाना, पैरेंट्स का तलाक देखना या भाई-बहन या दादा-दादी का बिछड़ना, ये सभी चीजें बच्‍चे के दिमाग पर नकारात्‍मक असर डालती हैं. अगर आपको लग रहा है कि इन चीजों की वजह से आपका बच्‍चा प्रभावित हो रहा है तो जितना जल्‍दी हो सके, उससे इस बारे में बात करें। यदि किसी हादसे के बाद बच्‍चे के व्‍यवहार में बदलाव दिख रहा है तो आपको तुरंत डिप्रेशन की पहचान कर उसका इलाज शुरू करवा देना चाहिए.


केमिकल असंतुलन-


कुछ बच्‍चों में शरीर के अंदर रसायनों के असंतुलन के कारण अवसाद हो जाता है. हार्मोनल बदलाव और विकास होने के कारण ये असंतुलन हो सकता है लेकिन ऐसा अपर्याप्‍त पोषण या शारीरक गतिविधियां कम करने की वजह से भी हो सकता है. बच्‍चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए नियमित चेकअप करवाते रहें.


Also Read:  खरबूजा स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत का भी है खजाना, नियमित रूप से करें गर्मियों में सेवन


Also Read: सुबह भूलकर भी न करें ये काम, पूरा दिन हो सकता है खराब


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )