पीआईएल मैन (PIL Man) के नाम से मशहूर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने दिल्ली हाईकोर्ट में भारतीय विमानों (Indian Aircrafts) पर लिखे पंजीकरण कोड VT को बदलने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह कोड विक्टोरियन टेरिटरी और वायसराय टेरिटरी (ब्रिटिश राज की विरासत) से संबंधित है। साथ ही यह कोड संप्रभुता, कानून के शासन (अनुच्छेद 14), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19) और गरिमा का अधिकार (अनुच्छेद 21) के विपरीत है।
उन्होंने याचिका में कहा है कि ‘वीटी’ का मतलब ‘विक्टोरियन टेरिटरी और वायसराय टेरिटरी’ है, जो कि राष्ट्रीयता कोड है जिसे भारत में पंजीकृत प्रत्येक विमान को ले जाना आवश्यक है। कोड आमतौर पर पीछे के निकास द्वार के ठीक पहले और खिड़कियों के ऊपर देखा जाता है। सभी घरेलू एयरलाइनों में उपसर्ग (Prefix) होता है, जिसके बाद अद्वितीय अक्षर होते हैं जो विमान को परिभाषित करते हैं और यह किससे संबंधित है। उदाहरण के लिए, इंडिगो की उड़ानों में पंजीकरण वीटी के बाद आईडीवी, यानी वीटी-आईडीवी, जेट के लिए यह वीटी-जेएमवी है।
If I am not wrong
VT – Viceroy Territory
VT – Victorian Territory
This is Indian Aeroplane 🤔 pic.twitter.com/C7GN5ISzJY
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniUpadhyay) June 23, 2022
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि उपसर्ग यह दर्शाता है कि विमान को देश में पंजीकृत किया गया है और यह सभी देशों में अनिवार्य है। विमान के पंजीकरण को उसके पंजीकरण प्रमाणपत्र में दिखाना आवश्यक है और एक विमान का एक क्षेत्राधिकार में केवल एक पंजीकरण हो सकता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन ने 1929 में सभी उपनिवेशों के लिए उपसर्ग ‘वीटी’ निर्धारित किया। लेकिन चीन, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों ने स्वतंत्रता के बाद अपने कॉल साइन्स कोड को बदल दिया। जबकि भारत में, 93 साल बाद भी विमान पर यही कोड बना हुआ है, जो संप्रभुता, कानून के नियम (अनुच्छेद 14), स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 19) और गरिमा के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करता है।
पंजीकरण अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार है और प्रत्येक विमान को यह निर्दिष्ट करना होगा कि वह किस देश और एयरलाइन से संबंधित है, एक अद्वितीय अल्फा-न्यूमेरिक कोड का उपयोग करके, जो पांच वर्णों का है, जो इंडिगो के मामले में है, वीटी-आईडीवी और जेट के लिए, यह वीटी- जेएमवी है। सरल शब्दों में, कॉल साइन या पंजीकरण कोड विमान की पहचान के लिए होता है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि भारतीय विमानों की पंजीकरण संख्या ‘ब्रिटिश राज’ की विरासत को चिह्नित करती है। ‘वीटी’ कोड औपनिवेशिक शासन का प्रतिबिंब है। भारत एक संप्रभु देश है इसलिए वायसराय टेरिटरी नहीं हो सकता है। भारत में अब तक वीटी कोड क्यों जारी है? पंजीकरण कोड बदलने के सरकार के प्रयास निष्फल रहे हैं। 2004 में, उड्डयन मंत्रालय ने कोड बदलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) से संपर्क किया लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
यह 1929 में ब्रिटिश शासकों द्वारा हमें दिया गया एक कोड है, जो हमें ब्रिटिश क्षेत्र के रूप में दर्शाता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत ने आजादी के 75 साल बाद भी गुलामी के प्रतीक वीटी को बरकरार रखा है। वीटी कोड का प्रयोग यह दर्शाता है कि हम अभी भी विक्टोरियन टेरिटरी और वायसराय टेरिटरी हैं, लेकिन सरकार इसे बदलने या आजादी के 75 साल बाद भी प्रयास करने से इनकार करती है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिकांश देश जो औपनिवेशिक दासता से गुजरे हैं, उन्होंने अपने औपनिवेशिक संकेतों से छुटकारा पा लिया है और अपना नया कोड बनाया है। ‘वीटी’ गर्व का प्रतीक नहीं बल्कि शर्म की बात है, अगर हम अपने देश के आजाद के बाद भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा शासित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार कॉल कोड का प्रदर्शन अनिवार्य है, जो निर्दिष्ट करता है कि प्रत्येक राष्ट्र के प्रत्येक विमान को एक अद्वितीय अल्फा-न्यूमेरिक कोड का उपयोग करके उस देश का नाम निर्दिष्ट करना होगा जिससे वह संबंधित है। पांच अक्षरों वाले कोड में दो अक्षर होने चाहिए, यानी देश का कोड (भारत के मामले में ‘वीटी’) और बाकी दिखाता है कि कौन-सी कंपनी विमान का मालिक है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि 27.11.1927 को वाशिंगटन में हस्ताक्षर किए गए वाशिंगटन के अंतर्राष्ट्रीय रेडियोटेलीग्राफ कन्वेंशन के दौरान भारत को कॉल साइन ‘वीटी’ सौंपा गया था। भारत की तरह हर देश में विमान की पहचान के लिए एक या दो अक्षर का अल्फ़ान्यूमेरिक कोड होता है। जैसे अमेरिका के पास ‘N’ है, यूके में ‘G’ है, यूएई में ‘A6’ है, सिंगापुर में ‘9V’ है और इसी तरह cia.gov की वेबसाइट में रखी गई वर्ल्ड फैक्टबुक के मुताबिक, ये कोड नागरिक विमानों की राष्ट्रीयता का संकेत देते हैं। याचिका में अतं में कोर्ट से निवेदन किया गया है कि वह केंद्र सरकार को VT कोड को बदलने का निर्देश दें।