अखिलेश यादव समाजवादी नहीं बल्कि मौकावादी विचारधारा के पोषक हैं:  डॉ चंद्रमोहन

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन ने मंगलवार को पार्टी कार्यालय पर पत्रकार वार्ता के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा है. प्रदेश प्रवक्ता ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को मौकावादी विचारधारा के पोषक बताया है. उन्होंने कहा यही वजह है कि उन्होंने मौका देखकर अपने पिता मुलायम सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर खुद अध्यक्ष बन बैठे. मौकावादी विचारधारा के चलते ही अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को भी पार्टी में हाशिए पर ढकेल दिया. उन्होंने अपने परिवार में ही नहीं बल्कि राजनीतिक सहयोगियों के साथ भी मौका देखकर अपना पाला बदला है.

 

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प्रदेश प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन ने कहा कि पिछले साल विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी सपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन किया और अब उन्हें कांग्रेस में कई खामियां नजर आ रही हैं. लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव की मौकावादी विचारधारा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के साथ चुनावी गठबंधन की तैयारी कर रही है.

 

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उन्होंने कहा सोमवार को लखनऊ के आयोजित एक कार्यक्रम में अखिलेश यादव का यह कहना कि कुछ लोग डॉ. आंबेडकर की विचारधारा और डॉ.लोहिया की विचारधारा को एक नहीं होने दे रहे हैं. असल में अखिलेश यादव की मौकावादी विचारधारा से ध्यान बंटाने की रणनीति ही है. अखिलेश यादव को न तो समाजवादी विचारधारा का ही कुछ ज्ञान है और न ही आंबेडकरवादी विचारधारा का. उनकी मौकावादी विचारधारा किसी को भी किसी भी वक्त धोखा दे सकती है.

 

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यह विचारधारा भ्रष्टाचार हितैषी है और जनता को भी अब सबकुछ समझ में आ गया है. इसी का नतीजा था कि पिछले विधानसभा चुनाव में जनता ने सपा को बुरी हार दी. अगले लोकसभा चुनाव में भी जनता अखिलेश यादव को और बुरी हार देने का मन बना चुकी है.

 

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प्रदेश प्रवक्ता डॉ चन्द्रमोहन ने कहा कि इसी डर के कारण अखिलेश यादव अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं. अपनी सरकार के दौरान जिस पार्टी को अखिलेश यादव ने जमकर कोसा, उसके समर्थकों का जमकर उत्पीड़न किया, आज उन्हें उसी पार्टी बसपा में अपने लिए मौका दिख रहा है.

 

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प्रदेश प्रवक्ता ने कहा अखिलेश यादव की मौकावादी विचारधारा को जनता तभी समझ गई थी. जब उन्होंने अपने पिता को पद से हटाकर सपा प्रमुख का पद पर कब्जा किया था. बाद में जनता विधानसभा चुनाव में मौका पाते ही अखिलेश को सत्ता से बेदखल किया और एक बार फिर आगामी लोकसभा चुनाव में मौका मिलते ही सपा प्रमुख को सबक सिखायेंगी.

 

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