उपभोक्ताओं को बीमा कंपनियों और बैंकों में धोखाधड़ी से बचने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए यह फैसला लिया है की अब से धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने के लिए उनकी ऑडिट रिपोर्ट की जांच-पड़ताल खुद सीवीसी करेगी। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। इसके साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग पड़ताल के बाद सुधारात्मक उपायों से जुड़े सुझाव भी देगा।
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केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कहा की बैंकों में लगातार बढ़ रहे एनपीए(अवरुद्ध) और बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे है जिस कारण यह फैसला लिया गया है। सतर्कता आयुक्त टी। एम भसीन ने कहा कि। सीवीसी केंद्रीय सांविधिक रिपोर्टों, मौजूदा लेखा परीक्षकों (ऑडिटर) की रिपोर्टों और अन्य लेखा परीक्षक की रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है। गौरतलब है की यह काम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के माध्यम से किया जा रहा है। और इस कदम धोखादड़ी पर रोक लगेगी तथा भ्रस्ट कर्मचारियों को पकड़ा जा सकेगा।
घोटाले-धोखाधड़ी के मामलों की लगी झड़ी
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और निजी बैंकों में 2017-18 में धोखाधड़ी के कुल 8,802 मामले सामने आये हैं। 2016-17 में 7,794 और 2015-16 में 7,482 मामले सामने आये थे।
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आरबीआई करता है निगरानी
गौरतलब है की आरबीआई बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी करता है और हालही में धोखाधड़ी के जोखिम से बचने के उपायों और कर्ज बांटने में गड़बड़ी के मामलों पर आरबीआई ने सख्ती की है। साथ ही इसकी जल्द से जल्द सूचना जांच एजेंसियों को देकर जिम्मेदार कर्मचारियों-अधिकारियों पर कार्रवाई भी तेज की है। उसने कर्ज में धोखाधड़ी और बेहद जोखिम वाले खातों से निपटारे के लिए भी नया तंत्र बनाया है। 50 करोड़ रुपये या उससे ऊपर के कर्ज में गड़बड़ी के मामलों में तुरंत कार्रवाई के निर्देश हैं।
इन घोटालों के बाद पड़ी जरूरत
आरबीआई और बैंकों के अंदरूनी निगरानी के बाद भी पीएनबी जैसा घोटाला
बैंकों के तेजी से बढ़ते एनपीए के पीछे अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं
बीमा कंपनियों के भी क्लेम या अन्य मामलों में मनमानी भी तेजी से बढ़ रही