महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा सर्वाइकल कैंसर! जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के प्रभावी तरीके

Health Care: सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला एक गंभीर रोग है, जो गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में विकसित होता है। यह मुख्य रूप से ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) संक्रमण के कारण होता है। यदि यह संक्रमण लंबे समय तक बना रहता है, तो कैंसर का रूप ले सकता है। भारत में इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और सही समय पर पहचान न होने पर यह घातक हो सकता है।

कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर?

gynecologist के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण HPV संक्रमण है। इसके अलावा, कुछ अन्य कारक भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाते हैं:

  • कमजोर इम्यून सिस्टम: शरीर यदि संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं है, तो कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • धूम्रपान: सिगरेट और तंबाकू में मौजूद हानिकारक रसायन इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं।
  • गर्भधारण का प्रभाव: बार-बार गर्भधारण करने से सर्विक्स पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे कैंसर की संभावना बढ़ सकती है।
  • हार्मोनल असंतुलन: लंबे समय तक ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का उपयोग करने से हॉर्मोन में बदलाव आ सकते हैं, जो इस कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

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सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में कोई खास लक्षण नहीं दिखते, लेकिन समय के साथ कुछ संकेत स्पष्ट होने लगते हैं:

  • असामान्य ब्लीडिंग: पीरियड्स के बीच, इंटरकोर्स के बाद या मेनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना चिंता का विषय हो सकता है।
  • असामान्य वजाइनल डिस्चार्ज: दुर्गंधयुक्त, गाढ़ा सफेद या लाल रंग का डिस्चार्ज भी चेतावनी संकेत हो सकता है।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द: बिना किसी कारण के लगातार पेट के निचले हिस्से में दर्द या असहजता महसूस होना।
  • इंटरकोर्स के दौरान दर्द: संभोग के दौरान दर्द या रक्तस्राव होना भी इस बीमारी का संकेत हो सकता है।
  • मूत्र संबंधी समस्याएं: बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन या खून आना।
  • शारीरिक कमजोरी: बिना किसी स्पष्ट कारण के थकान महसूस होना और वजन का अचानक कम होना।
  • टांगों में सूजन: जब कैंसर लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है, तो पैरों में सूजन आ सकती है।
    अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय

1. HPV वैक्सीन

  • सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए HPV वैक्सीन सबसे प्रभावी उपाय है। 9 से 26 वर्ष की उम्र की लड़कियों और महिलाओं को यह वैक्सीन लगवानी चाहिए।

2. पैप स्मीयर टेस्ट

  • इस टेस्ट के जरिए कैंसर के शुरुआती संकेतों का पता लगाया जा सकता है। 21 वर्ष की उम्र से हर 3 साल में यह टेस्ट करवाना चाहिए।

3. सुरक्षित यौन संबंध

  • HPV संक्रमण से बचने के लिए इंटरकोर्स के दौरान कंडोम का उपयोग करें।

4. धूम्रपान छोड़ें

  • तंबाकू और सिगरेट का सेवन इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

5. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

  • संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से इम्यून सिस्टम मजबूत हो सकता है, जिससे शरीर कैंसर जैसी बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ सकता है।

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