IMF Loan to Pakistan: पहले दिया 1 अरब का लोन, अब आईएमएमफ ने पाकिस्तान पर लगाईं 11 शर्तें, चेतावनी भी दे डाली

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान (Pakistan) को राहत पैकेज के तहत दी गई वित्तीय मदद के बाद चिंताजनक रुख अपनाया है। रिपोर्टों के मुताबिक, IMF को अब अपने ऋण की वापसी को लेकर जोखिम महसूस हो रहा है, और इसी के चलते उसने पाकिस्तान के लिए अपने कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें जोड़ दी हैं। रविवार को मीडिया रिपोर्टों में सामने आई जानकारी के अनुसार, आईएमएफ की स्टाफ-लेवल रिपोर्ट में इन शर्तों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, जिनका उद्देश्य पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था में पारदर्शिता और स्थायित्व सुनिश्चित करना है।

प्रमुख शर्तें:

संघीय बजट की संसद से मंजूरी: पाकिस्तान को अगले वित्तीय वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये का बजट संसद से पास कराना होगा।

बिजली दरों में अधिभार बढ़ेगा: उपभोक्ताओं को अब ज्यादा शुल्क चुकाना होगा, जिससे ऋण वसूली में सहूलियत होगी।

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पुरानी कारों के आयात पर से प्रतिबंध हटाना।

नया कृषि आयकर कानून लागू: चार प्रमुख संघीय इकाइयों में करदाता पहचान, रिटर्न प्रक्रिया और अनुपालन सुधार पर आधारित व्यवस्था लागू करनी होगी।

संचालन सुधारों की योजना प्रकाशित करना और वित्तीय रणनीति (2027 के बाद की) सार्वजनिक करना।

ऊर्जा क्षेत्र में सुधार: टैरिफ निर्धारण, वितरण प्रणाली में बदलाव और वित्तीय पारदर्शिता के चार बिंदुओं पर विशेष ध्यान।

भारत-पाक तनाव को बताया खतरा

IMF ने चेतावनी दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव, विशेषकर हालिया सैन्य घटनाक्रम, पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति और आर्थिक सुधार प्रक्रिया को गंभीर खतरा पहुंचा सकता है। रिपोर्ट में 22 अप्रैल को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए सैन्य कदमों का हवाला देते हुए आशंका जताई गई है कि इससे पाकिस्तान की बाहरी वित्तीय स्थिति और नीतिगत संतुलन प्रभावित हो सकता है।

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रक्षा खर्च में भारी इजाफा

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान का आगामी रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये अनुमानित है, जो पिछले साल की तुलना में 12% ज्यादा है। वहीं सरकार इसे बढ़ाकर 2,500 अरब रुपये करने की योजना बना रही है, जो IMF के राजकोषीय लक्ष्यों के खिलाफ माना जा रहा है।

कुल 50 शर्तें लागू

नई 11 शर्तों के साथ, पाकिस्तान पर अब तक कुल 50 शर्तें लागू हो चुकी हैं। ये केवल वित्तीय प्रबंधन तक सीमित नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और नीतिगत सुधारों की दिशा में भी IMF की गहरी भागीदारी को दर्शाती हैं। अब पाकिस्तान को न सिर्फ इन सभी शर्तों को समय पर पूरा करना है, बल्कि क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित कर आर्थिक संतुलन बनाए रखने की कड़ी चुनौती का सामना भी करना होगा।

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