ज्ञानवापी विवाद: सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को मिला बड़ा झटका, कोर्ट ने कहा- जिला जज अपने हिसाब से करें सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) मामले की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई चल रही है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, इस मामले में कोर्ट ने तीन सुझाव दिए हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जिला जज अपने हिसाब से सुनवाई करें। इस मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस नरसिम्हा और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कर रही है।

कोर्ट ने अपने सुझाव में कहा है क‍ि जिला कोर्ट को सीमा से आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस पूरी कार्यवाही के दौरान दोनों समुदायों के बीच शांत‍ि और भाईचारा बना रहना चाह‍िए। हम संतुलन बनाए रखना चाह‍िए। वहीं, ह‍िंंदू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि वाराणसी कोर्ट की सोच पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था।

कोर्ट ने इसके जवाब में कहा कि हम जिला कोर्ट को निर्देश नहीं देंगे। जिला जज को पहले तय करना चाह‍िए कि क्‍या करना चाह‍िए। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट के बारे में मुस्‍लि‍म पक्ष से कहा कि हम हर तथ्‍य पर गौर करेंगे। सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजन‍िक नहीं करना चाहिए।

सुनवाई से ठीक पहले हिंदू पक्ष ने जवाब दाखिल करते हुए दावा किया कि हिंदू सदियों से उसी स्थल पर अपनी रीतियों का पालन कर रहे हैं, परिक्रमा कर रहे हैं। औरंगजेब ने कोई वक्फ नहीं स्थापित किया था। विवादित जगह मस्ज़िद नहीं है।

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हिंदू पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद कोई मस्जिद नहीं है, क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब ने उस जमीन पर किसी भी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय के लिए वक्फ बनाने या जमीन सौंपने का कोई आदेश पारित नहीं किया था।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर प्रतिवादियों की प्रतिक्रिया में कहा गया है : “इतिहासकारों ने पुष्टि की है कि इस्लामिक शासक औरंगजेब ने 9 अप्रैल, 1669 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें उनके प्रशासन को वाराणसी में भगवान आदि विशेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था। इस पर कुछ भी नहीं है।

औरंगजेब ने वक्फ बनाने का आदेश नहीं दिया

रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए कि तत्कालीन शासक या किसी बाद के शासक ने किसी भी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय को जमीन पर वक्फ बनाने या जमीन को सौंपने के लिए कोई आदेश पारित किया है। औरंगजेब द्वारा जारी फरमान/आदेश की प्रति कोलकाता की एशियाटिक लाइब्रेरी द्वारा सुरक्षित रखी जाए।

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