“स्थायित्व की नई दिशा में आतिथ्य एवं प्रबंधन: लोचशीलता एवं नवाचार के माध्यम से सफलता”

मुकेश कुमार संवाददाता गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के होटल प्रबंधन एवं खानपान प्रौद्योगिकी विभाग (आईएचएमसीटी) द्वारा कुलपति पूनम टंडन के दूरदर्शी नेतृत्व में हीरक जयंती के अवसर पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ आईएच एमसीटी के समन्वयक डॉ. अंशु गुप्ता ने किया। वाणिज्य विभाग के अधिष्ठाता प्रोफेसर श्रीवर्धन पाठक ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कार्यक्रम का मार्गदर्शन किया तथा आईएचएमसीटी विभाग की सराहना करते हुए बधाई दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में होटल प्रबंधन के निदेशक डॉ. जसविंदर कुमार ने “Sustainability & Resilience: Emerging Paradigms in Hospitality and Contemporary Management Practices” पर प्रकाश डाला। उन्होंने समकालीन आतिथ्य प्रबंधन में उभरते प्रतिमानों, पुनर्योजी आतिथ्य: स्थिरता से आगे बढ़ने, “निम्न हानि” से “शुद्ध सकारात्मक प्रभाव” की ओर बढ़ने, पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्संचालित करने वाले होटलों के उदाहरण के साथ ही जैव विविधता का समर्थन करने और स्थानीय समुदायों में निवेश करने जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने हिल्टन के “ट्रैवल विद पर्पस प्रोग्राम” और सिक्स सेंसेस होटल्स की दीर्घकालीन प्रथाओं के विषय में भी बताया। उन्होंने कहा कि, हिल्टन का लक्ष्य 2030 तक अपने पर्यावरणीय पदचिह्न को आधा करना है, जिसमें अपशिष्ट न्यूनीकरण, कार्बन-तटस्थ कार्यक्रम एवं सामुदायिक आउटरीच पहल शामिल हैं। उन्होंने सिक्स सेंसेस होटल्स के उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वे स्थिरता (जैविक उद्यान, प्लास्टिक मुक्त संचालन, कार्बन तटस्थता) पर ध्यान केंद्रित करते हुए लक्जरी आतिथ्य प्रदान करते हैं, एवं स्थानीय आबादी को लाभान्वित करने वाली सामुदायिक- आधारित पर्यटन परियोजनाओं का संचालन करते हैं।
डॉ.जसविंदर कुमार ने निष्कर्ष में कहा कि, स्थिरता अब आतिथ्य में एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। लचीलापन सुनिश्चित करता है कि, व्यवसाय अनिश्चित परिस्थितियों में अनुकूलन, जीवित और समृद्ध हो सकें। डिजिटल परिवर्तन, पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाएं एवं हितधारक सहयोग आतिथ्य के भविष्य को चला रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के अंत में आईएचएमसीटी के समन्वयक डॉ. अंशु गुप्ता ने अतिथि वक्ता का आभार ज्ञापन किया और कहा कि स्थिरता अब चुनाव नहीं, आवश्यकता है। इस अवसर पर आईएचएमसीटी के संकाय सदस्य आशीष रंजन, मो. कुरेश खान, महेश कुमार, प्रतिभागी एवं आईएचएमसीटी के छात्र भी उपस्थित रहे।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के होटल प्रबंधन एवं खानपान प्रौद्योगिकी विभाग (आईएचएमसीटी) द्वारा कुलपति पूनम टंडन के दूरदर्शी नेतृत्व में हीरक जयंती के अवसर पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आईएच एमसीटी के समन्वयक डॉ. अंशु गुप्ता ने किया। वाणिज्य विभाग के अधिष्ठाता प्रोफेसर श्रीवर्धन पाठक ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कार्यक्रम का मार्गदर्शन किया तथा आईएचएमसीटी विभाग की सराहना करते हुए बधाई दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में होटल प्रबंधन के निदेशक डॉ. जसविंदर कुमार ने “Sustainability & Resilience: Emerging Paradigms in Hospitality and Contemporary Management Practices” पर प्रकाश डाला। उन्होंने समकालीन आतिथ्य प्रबंधन में उभरते प्रतिमानों, पुनर्योजी आतिथ्य: स्थिरता से आगे बढ़ने, “निम्न हानि” से “शुद्ध सकारात्मक प्रभाव” की ओर बढ़ने, पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्संचालित करने वाले होटलों के उदाहरण के साथ ही जैव विविधता का समर्थन करने और स्थानीय समुदायों में निवेश करने जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने हिल्टन के “ट्रैवल विद पर्पस प्रोग्राम” और सिक्स सेंसेस होटल्स की दीर्घकालीन प्रथाओं के विषय में भी बताया। उन्होंने कहा कि, हिल्टन का लक्ष्य 2030 तक अपने पर्यावरणीय पदचिह्न को आधा करना है, जिसमें अपशिष्ट न्यूनीकरण, कार्बन-तटस्थ कार्यक्रम एवं सामुदायिक आउटरीच पहल शामिल हैं। उन्होंने सिक्स सेंसेस होटल्स के उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वे स्थिरता (जैविक उद्यान, प्लास्टिक मुक्त संचालन, कार्बन तटस्थता) पर ध्यान केंद्रित करते हुए लक्जरी आतिथ्य प्रदान करते हैं, एवं स्थानीय आबादी को लाभान्वित करने वाली सामुदायिक-आधारित पर्यटन परियोजनाओं का संचालन करते हैं।
डॉ.जसविंदर कुमार ने निष्कर्ष में कहा कि, स्थिरता अब आतिथ्य में एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। लचीलापन सुनिश्चित करता है कि, व्यवसाय अनिश्चित परिस्थितियों में अनुकूलन, जीवित और समृद्ध हो सकें। डिजिटल परिवर्तन, पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाएं एवं हितधारक सहयोग आतिथ्य के भविष्य को चला रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के अंत में आईएचएमसीटी के समन्वयक डॉ. अंशु गुप्ता ने अतिथि वक्ता का आभार ज्ञापन किया और कहा कि स्थिरता अब चुनाव नहीं, आवश्यकता है। इस अवसर पर आईएचएमसीटी के संकाय सदस्य आशीष रंजन, मो. कुरेश खान, महेश कुमार, प्रतिभागी एवं आईएचएमसीटी के छात्र भी उपस्थित रहे।
Also Read जातक कथाओं के माध्यम से छात्रों ने सीखा व्यवसाय प्रबंधन