Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 अपने अंतिम चरण में है, और कल, 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अंतिम शाही स्नान आयोजित होगा। इस महत्वपूर्ण दिन पर संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है, जो पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करेंगे।
महाशिवरात्रि और अंतिम शाही स्नान का महत्व
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं, और शिवलिंग का विशेष पूजन-अर्चन करते हैं। महाकुंभ के संदर्भ में, महाशिवरात्रि का शाही स्नान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह महाकुंभ का अंतिम और सबसे पवित्र स्नान होता है। इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तैयारियाँ और सुरक्षा प्रबंध
महाशिवरात्रि के अंतिम शाही स्नान के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियाँ की हैं। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जिसमें हजारों पुलिसकर्मियों और होमगार्डों की तैनाती शामिल है। ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी के माध्यम से लगातार निगरानी की जा रही है। गंगा घाटों पर एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तैनात हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।
श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण निर्देश
- स्नान का समय: महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:09 बजे से 5:59 बजे तक रहेगा। इस दौरान संगम में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- सावधानियाँ: भीड़ को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें। अपने साथ केवल आवश्यक वस्तुएँ ही लें और मूल्यवान चीजें घर पर छोड़ दें। सुरक्षित स्थानों पर ही ठहरें और किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन की सहायता लें।
मान्यता
महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर संगम में स्नान और भगवान शिव की आराधना से जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और इस आध्यात्मिक आयोजन का पूर्ण लाभ उठाएँ।