जानें क्यों शपथ लेता है भारत का प्रधानमंत्री, पढ़िए क्या है इसका मतलब

लोकसभा चुनावों में मिली बंपर जीत के बाद आज नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. शाम 7 बजे अपने मंत्रिमंडल के साथ मोदी के शपथ का कार्यक्रम है. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी की नई कैबिनेट में 65 से 70 मंत्री शामिल हो सकते हैं. आपने मन में कई सवाल उठते होंगे कि आखिर क्या और कैसी गोपनीयता है जिसकी शपथ देश के प्रधानमंत्री और उनके मंत्री गण लेते हैं. आइये जानते हैं प्रधानमंत्री की शपथ से जुड़ीं कुछ रोचक बातें.


ये शपथ लेंगे पीएम मोदी

मैं “नरेन्द्र भाई मोदी” भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा.मैं भारत की संप्रभुता एवं अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा. मैं श्रद्धापूर्वक एवं शुद्ध अंतरण से अपने पद के दायित्वों का निर्वहन करूंगा. मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा”.


प्रधानमन्त्री और उसकी मंत्री परिषद् को पद ग्रहण करने से पूर्व भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है. प्रधानमन्त्री अपने साथ एक कैबिनेट का चयन भी करता है और उसकी सिफारिश पर ही राष्ट्रपति अन्य केन्द्रीय मंत्रियों को पद की शपथ दिलाता है. हालाँकि किस मंत्री को कौन सा मंत्रालय दिया जायेगा इसका फैसला प्रधानमन्त्री करता है.


प्रधानमन्त्री की इस शपथ का मूल सारांश यह होता है कि वह ईश्वर की शपथ खाकर कहता है कि यदि देश हित के विषय से सम्बंधित कोई भी जानकारी उसके समक्ष लायी जाएगी, या उसको ज्ञात होगी तो वह उसे सिर्फ उन्ही लोगों (जैसे मंत्रिपरिषद के सदस्यों या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों इत्यादि) के साथ साझा करेगा जिनके साथ वह जानकारी साझा करने के लिए अधिकृत है.


वैसे आपको बता दें कि संविधान में इस प्रश्न के लिए कोई खास कारण नहीं लिखा है कि भारत के प्रधानमन्त्री को शपथ क्यों दिलाई जाती है? लेकिन शपथ को ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि शपथ दिलाने के पीछे आस्तिक कारण है क्योंकि शपथ में प्रधानमन्त्री ईश्वर की शपथ लेता है कि वह संविधान के अनुसार बनाये गए नियमों का पालन करेगा और देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाये रखने के लिए किसी भी दुश्मन व्यक्ति और देश के साथ कोई ख़ुफ़िया जानकारी साझा नहीं करेगा.


अगर पूरी प्रक्रिया की बात करें तो नियम के अनुसार पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री संवैधानिक परिपत्र पर हस्ताक्षर करते हैं. उसके बाद हस्ताक्षर किया हुआ यह दस्तावेज राष्ट्रपति के पास जमा किया जाता है. यह दस्तावेज हमेशा के लिए सुरक्षति रखने के लिए संरक्षित भी किए जाते हैं.


बता दें कि संविधान के हमारे संविधान के मुताबिक़ प्रधानमन्त्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है, तथा वह राष्ट्रपति की मर्जी तक ही अपने पद पर बना रह सकता है. लेकिन यदि उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो तो राष्ट्रपति भी उसे पद से नहीं हटा सकता है.


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