मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर : एम्स गोरखपुर के ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग ने हड्डी रोग सर्जरी में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 80 वर्षीय कैलाशी देवी, निवासी कर्मैना, गोरखपुर, जो ऊंचाई से गिरने के कारण फीमर बोन फ्रैक्चर से पीड़ित थीं, उनका सफल हेमिआर्थ्रोप्लास्टी ऑपरेशन मात्र 5 सेमी के चीरे में किया गया। यह सर्जरी लीड सर्जन डॉ. अरुण पांडेय और उनकी ट्रॉमा टीम ने सफलतापूर्वक संपन्न की।
आमतौर पर इस सर्जरी में 7.5 से 8 सेमी का चीरा लगाया जाता है, जबकि इससे पहले फोर्टिस हॉस्पिटल, नई दिल्ली में 5.4 सेमी का सबसे छोटा चीरा दर्ज था। एम्स गोरखपुर की टीम ने बिना किसी विशेष उपकरण के 5 सेमी चीरे में यह जटिल सर्जरी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
ऑपरेशन टीम में लीड सर्जन डॉ. अरुण पांडेय, सहायक सर्जन डॉ. अनिल मीना, एनेस्थेटिक विशेषज्ञ डॉ. सुहास मॉल, सीनियर रेजिडेंट डॉ. हम्ज़ा, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर सुरजनी और नर्सिंग ऑफिसर शाहरुख व अदिति शामिल थे।
सर्जरी के दौरान टूटी हुई हड्डी को हटाकर आर्टिफिशियल इंप्लांट लगाया जाता है।
हेमिआर्थ्रोप्लास्टी एक ऑर्थोपेडिक सर्जरी है, जो फीमर बोन के नेक फ्रैक्चर होने पर की जाती है। यह सर्जरी 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों में की जाती है, क्योंकि इस आयु वर्ग में हड्डियां कमजोर होती हैं। सर्जरी के दौरान टूटी हुई हड्डी को हटाकर आर्टिफिशियल इंप्लांट लगाया जाता है।
इस सर्जरी के कई फायदे सामने आए, जिनमें घाव का जल्दी भरना, कम दर्द, न्यूनतम रक्तस्राव, दाग रहित ऑपरेशन, तेजी से रिकवरी और संक्रमण का कम खतरा शामिल हैं। ऑपरेशन के 6-8 घंटे बाद ही मरीज को चलाया जा सका और जल्द अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
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“एम्स गोरखपुर में सफल सर्जरी: न्यूनतम चीरे और तेजी से रिकवरी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम”
एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल प्रो. डॉ. विभा दत्ता ने इस उपलब्धि पर डॉ. अरुण पांडेय और उनकी पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने इसे मेडिकल जगत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया और भविष्य में भी ऐसे उत्कृष्ट कार्य करने के लिए टीम को प्रोत्साहित किया।
एम्स गोरखपुर में ट्रॉमा और इमरजेंसी विभाग द्वारा की गई यह उपलब्धि चिकित्सा जगत में मील का पत्थर साबित हो रही है। यह दिखाता है कि आधुनिक तकनीक और कुशल सर्जरी की मदद से बड़े ऑपरेशन को भी न्यूनतम चीरे में सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
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