डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय के केन्द्रीय मंत्री बन जाने के बाद यूपी में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? इसे लेकर कवायद और कयास दोनों शुरू हो गए हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव करीब तीन वर्ष बाद है लेकिन, तैनाती चुनावी पृष्ठभूमि के आधार पर ही होनी तय मानी जा रही है. ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बीजेपी आलाकामन मंथन करने में जुट गया है.
पार्टी सूत्रों की मानें तो डॉ. पाण्डेय के रूप में एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद बीजेपी अब किसी दलित या अन्य पिछड़ी जाति पर दांव खेल सकती है. बीजेपी में प्रदेश स्तर के कई ऐसे नेता हैं, जिनकी सत्ता और संगठन पर समान रूप से पकड़ है. लिहाजा इन्हीं लोगों में से किसी एक को डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय का उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है.
मिशन 2022 के लिए भाजपा पिछड़े वर्ग के नेता पर दांव लगा सकती है. हालांकि, पार्टी कब कौन सा प्रयोग कर दे, कहा नहीं जा सकता है. किसी चौंकाने वाले नाम की भी ताजपोशी हो सकती है भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व भी तय होना है. इसके बाद ही प्रदेश की बारी आएगी. पिछड़े वर्ग से योगी सरकार के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह प्रदेश अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं. कुर्मी बिरादरी के स्वतंत्र देव भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष और लंबे समय तक भाजपा प्रदेश महामंत्री रहे हैं.
मंत्रिमंडल में भागीदारी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अपना दल एस की संरक्षक, पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की नाराजगी के बाद कुर्मी समाज पर और मजबूत पकड़ बनाने की भी चुनौती बढ़ी है. ऐसे में कुर्मी बिरादरी को प्राथमिकता मिल सकती है. इस बिरादरी के सांसदों पर भी नजर है. दूसरी वरीयता में भाजपा प्रदेश महामंत्री नीलिमा कटियार समेत कुछ और नेताओं के भी नाम हैं. पिछड़ी जाति के अन्य नेताओं में लोध समाज से भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बीएल वर्मा, निषाद समाज से बाबूराम निषाद, जाट बिरादरी से पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी और गुर्जर समाज से भाजपा. प्रदेश महामंत्री अशोक कटारिया भी
चर्चा में हैं.
अन्य नेताओं की भी लंबी कतार है. अगर पार्टी दलित नेता को अध्यक्ष बनाती है तो इसमें प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर, इटावा के सांसद राम शंकर कठेरिया और जालौन के सांसद भानुप्रताप वर्मा के नाम पर भी विचार हो सकता है. तर्क दिया जा रहा है कि अगर डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की जगह ब्राह्मण अध्यक्ष बना तो गौतमबुद्धनगर के सांसद, पूर्व मंत्री डॉ. महेश शर्मा, भाजपा प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक, पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक में भी किसी को मौका मिल सकता है. वैसे वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी थे लेकिन, उनके बाद विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, यह प्रयोग सफल रहा. इसलिए माना यह जा रहा है कि पिछड़े पर ही भाजपा दांव लगाएगी. पार्टी अध्यक्ष के चयन में पश्चिम और ब्रज क्षेत्र को महत्व दे सकती है.
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