प्रयागराज (Prayagraj) जनपद में ईद के मौके पर छात्र-छात्राओं से कुर्ता पायजामा और टोपी पहनकर वीडियो बनाकर भेजने के मामले में पुलिस ने प्रिंसिपल डॉ. बुशरा मुस्तफा के खिलाफ केस दर्ज किया है। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री लालमणि तिवारी ने कीडगंज थाना में न्याय नगर पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. बुशरा मुस्तफा (Principal Dr. Bushra Mustafa) के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने प्रिंसिपल के खिलाफ कानून कार्रवाई की मांग की है।
दरअसल, ईद से कुछ दिन पहले झूंसी के गंगा इंक्लेव स्थित न्यायनगर पब्लिक स्कूल की ओर से ईद मुबारक के तहत एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टविटी का मैसेज स्कूल के वाट्सएप ग्रुप पर भेजा गया था। इसमें छात्र-छात्राओं से कुर्ता पायजामा पहन वीडियो बनाकर भेजने और शेयर करने के लिए कहा गया था। छात्र-छात्राओं से यह भी कहा गया था कि जो बच्चे इसमें प्रतिभाग करेंगे, उन्हें वार्षिक परीक्षा में कुछ अंक भी दिए जाएंगे।
इस पर कई अभिभावकों ने आपत्ति जताते हुए संविधान के अनुच्छेद 28 का हवाला देते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही सीएम, डिप्टी सीएम और कैबिनेट मंत्री को ट्वीट किया था। प्रकरण को संज्ञान में लेकर जांच भी कराई गई। इसी बीच विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री गोरक्षा लालमणि तिवारी निवासी नेता नगर नई बस्ती की ओर से मामले को लेकर कीडगंज थाने में तहरीर दी गई।
बुधवार को कीडगंज पुलिस ने स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ. बुशरा मुस्तफा के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया। तहरीर में लिखा गया है कि प्रधानाचार्य ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जान बूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया। कर्नाटक के हिजाब विवाद की तरह ही उत्तर प्रदेश के धार्मिक सौहार्द को खराब करने की साजिश की गई।
गोरक्षा के प्रांत मंत्री ने कहा कि प्रदेश में अमन चैन कायम रखने के लिए ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना जरूरी है। देश विरोधी शक्तियां हिंदू समाज को अपमानित करती रहेंगी और विद्यालय में जाने वाले बच्चों पर मानसिक दबाव डालकर उन्हें दूसरे धर्म के प्रति प्रलोभित करने का कार्य करती रहेंगी तो आक्रोश बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में शांति का माहौल प्रभावित हो सकता है। ऐसी स्थिति में यदि देश व समाज विरोधी तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई न हुई तो इनका मनोबल बढ़ेगा। जो समाज के हित में नहीं होगा।
वहीं, प्रधानाचार्य डा. बुशरा मुस्तफा का कहना है कि उक्त मामले को अनावश्यक रूप से तूल दिया जा रहा है। विद्यालय ने जो गतिविधि आयोजित की थी वह किसी के लिए अनिवार्य नहीं थी। इसके माध्यम से किसी धर्म विशेष की भावना को भी आहत करने का मकसद नहीं है।
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