कुछ समय पहले ही यूपी सरकार ने प्रदेश भर में स्थित मदरसों की जांच के आदेश जारी किए थे. जिसके क्रम में अब कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है. इसी क्रम में अब यूपी सरकार ने मदरसों के सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदुओं को साफ कर दिया है. तय हो गया है कि किन बिंदुओं पर मदरसों का सर्वेक्षण होना है. इसके साथ ही सरकार की मंशा की भी जानकारी मिलती दिख रही है. सरकार ने मदरसों में होने वाले सर्वे के लिए सवालों का एक प्रोफार्मा तैयार किया है. प्रोफार्मा में जो 12 सवाल दिए गए हैं वो कुछ इस तरह से हैं-
ये हैं सरकार द्वारा तैयार किए गए 12 सवाल
- पहला: दिए गए फॉर्मेट में बनाए गए 12 कॉलम में पहला कॉलम मदरसे का नाम से भरा जाएगा.
- दूसरा: मदरसे को संचालित करने वाली संस्था का नाम इसमें भरा जाएगा.
- तीसरा: मदरसा के स्थापना वर्ष के बारे में विवरण भरना होगा.
- चौथा: फॉर्मेट के चौथे कॉलम में मदरसों की अवस्थिति का पूरा विवरण देना होगा. मतलब, मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में. इसकी जानकारी देनी होगी.
- पांचवीं: क्या मदरसे का भवन छात्र-छात्राओं के लिए उपयुक्त है? इस सवाल का जवाब देना होगा. इसमें बताना होगा कि मदरसे का भवन सुरक्षित है या नहीं. इसके अलावा पेयजल, फर्नीचर, बिजली की व्यवस्था, शौचालय आदि सुविधाओं के बारे में बताना होगा.
- छठा: सर्वे फॉर्मेट के छठे कॉलम में मदरसे में पढ़ रहे छात्र- छात्राओं की कुल संख्या के बारे में जानकारी देनी है.
- सातवां: मदरसे में कुल शिक्षकों की संख्या क्या है? इसका विवरण देना है.
- आठवां: मदरसे में लागू पाठ्यक्रम क्या है? मतलब, किस पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, इसकी जानकारी ली जाएगी.
- नौवां: मदरसे की आय का स्रोत क्या है? इसमें यह बताना होगा कि मदरसा को संचालित करने के लिए दान या जकात मिल रही है तो वह कहां से आ रह है.
- दसवां: क्या इन मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राएं किसी और शिक्षण संस्थान स्कूल में नामांकित हैं? मतलब छात्रों के अन्य संस्थानों में भी एडमिशन लिए जाने के बारे में जानकारी ली जाएगी.
- ग्यारहवां: क्या किसी गैर सरकारी संस्था या समूह से मदरसे की संबद्ध है? अगर हां तो इस संबंध में पूरा विवरण होगा.
- बारहवां: यह कॉलम अभियुक्ति का होगा. इसमें सर्वेयर तमाम बिंदुओं पर मदरसा संचालकों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी पर अपनी टिप्पणी लिख सकते हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव ने सर्वे को बताया बेकार
सर्वे का आदेश जारी होने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने अपने प्रेस नोट में कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा धार्मिक मदरसों का सर्वेक्षण करवाने का फैसला वास्तव में हमवतनी भाइयों के बीच दूरी पैदा करने की घिनौनी और नापाक साज़िश है. उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक मदरसों का एक शानदार इतिहास रहा है.
आगे उन्होनें कहा कि, इन मदरसों में पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए चरित्र-निर्माण और नैतिक प्रशिक्षण का आयोजन चौबीसों घंटे किया जाता है. कभी इन मदरसे में पढ़ने और पढ़ाने वालों ने आतंकवाद और साम्प्रदायिक घृणा पर आधारित कोई कार्य नहीं किया. हालांकि कई बार सरकार ने इस प्रकार के आरोप लगाए; चूंकि ये झूठे आरोप थे इसलिए इसका कोई सुबूत नहीं मिला
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