खुद को अटल बिहारी वाजपेयी का पुत्र बताता है यह व्यक्ति, कोर्ट में दायर की याचिका

हरदोई: बचपन से ही अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर एक व्यक्ति उनका मानस पुत्र होने का दावा करता है व खुद को उनका पुत्र लिखता है. साथ ही उनके ऊपर एक पुस्तक ‘दृष्टि अटल’ भी लिखी है. जब वह उनसे मिलने गया तो उसे मिलने नहीं दिया गया. इससे आहत होकर उसने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है.

 

खुद को अटल बिहारी वाजपेयी का मानस पुत्र कहने वाले संजीव द्विवेदी कहना है कि उन्हें जमीन-जायदाद का कोई लालच नहीं है बल्कि उनकी सेवा करना ही उसका एक मात्र उद्देश्य है. वह खुद को अटल बिहारी वाजपेयी का मानस पुत्र कहते हैं. 1996 में जिले का एक हाई स्कूल में पढ़ने वाला छात्र अटल जी के संसद भवन में दिए गए भाषण से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उन्हें भगवान की तरह पूजना शुरू कर दिया और मन ही मन उनको अपना मानस पिता मान लिया. तब से अटल बिहारी बाजपेई के राष्ट्र वाद के सिद्धांत और संकल्प इस मानस पुत्र के जहन में बस गए.

 

लखनऊ हाई कोर्ट के वकील संजीव द्विवेदी सुबह-शाम भगवान से पहले अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर पर तिलक कर आरती करते हैं. अपने मानस पिता को याद करने के बाद ही वह भगवान की पूजा करते हैं. अपनी फरियाद भी भगवान रूपी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की फोटो के सामने ही रखते हैं. उन्होंने वकील वाजपेयी जी के ऊपर एक किताब ‘दृष्टि अटल’ भी लिखी है, जिसका विमोचन कुछ दिन पहले अटल जी के आवास पर उनके सचिव द्वारा किया गया था. अब दिल्ली का एक नामी प्रेस उसकी छपाई कर रहा है.

 

स्वास्थ्य की चिंता और सेवा भाव के चलते दायर की याचिका

यूं तो अटल जी के चाहने वालों की कमी नहीं है और उनकी सेवा करने वाले भी बहुत हैं, लेकिन मानस पुत्र को अटल जी के स्वास्थ्य की चिंता विशेष तौर पर सता रही है. अप्रैल महीने में जब वह उनसे आवास पर मिलने गए तो उन्हें मिलने से मना कर दिया गया. उसके बाद अभी जब अटल जी एम्स में भर्ती हुए तो भी उसे नहीं मिलने दिया गया. इसलिए उन्होंने पुराणों का और वैदिक रीति-रिवाजों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें अटल जी की देख रेख के लिए उनसे मिलने की इजाजत की मांग की है। साथ ही पुत्र कर्तव्यों के निर्वाहन करने की मांग की है. इतना ही नहीं, उनके राष्ट्र वादी विचारों, सिद्धांतों और संकल्पों को देश में पुनर्स्थापित करने के लिए खुद को अटल जी का मानस पुत्र घोषित करने की भी मांग की है. संजीव दिवेदी एडवोकेट वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार अटल जी की स्वर्गवास के बाद उनके संस्कार और क्रिया कर्म करने की इच्छा भी रखते हैं, जिसके लिए उनको मानस पुत्र का दर्जा प्राप्त होना जरुरी है. इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने को अटल बिहारी बाजपेई का मानस पुत्र घोषित किए जाने की याचिका दायर की है. मानस पुत्र का कहना है कि उन्हें संपत्ति का लालच न था, न है. एक मात्र अटल जी की सेवा करना ही उनका उद्देश्य है. याचिका पर सुनवाई जारी है और जल्द ही सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला भी सुनाएगी.
मानस पुत्र का परिचय
हरदोई जिले के थाना अरवल के चंदापुर गांव के रहने वाले वकील संजीव द्विवेदी हाई कोर्ट लखनऊ में प्रैक्टिस करते हैं. संजीव बचपन से भावुक और आध्यात्मिक प्रवत्ति के रहे हैं. बचपन से अटल बिहारी वाजपेयी के राष्ट्र वादी सिद्धांतों से प्रभावित होकर दिल ही दिल में उनको अपने पिता स्वरुप मानते रहे हैं. उनका कहना है कि 28 मई 1996 में जब अटल जी के अविश्वास प्रस्ताव के चलते सरकार गिरी और उसके बाद उनके संसद में दिए गए भाषण के संबोधन को ट्रांजिस्टर पर सुन कर उनके दिलों-दिमाग पर इतना असर हुआ कि वह रोने लगे.
इतना प्रभावित हुए कि उनको ऐसा लगने लगा कि जैसे उनके बीच कोई रिश्ता है. वहीं से उन्होंने अटल जी के राष्ट्रवाद के सिद्धांतों और संकल्पों को लेकर कविताएं लिखना शुरू कर दीं और सन 2005 में उन्होंने दृष्टि अटल काव्य पाठ की एक किताब ही लिख डाली. अपनी याचिका में अधिवक्ता संजीव ने पुराणों में ब्रह्मा के 14 मानस पुत्रों और दयानंद सरस्वती के 2 मानस पुत्रों का उदाहरण भी दिया है.

क्या होता है  मानस पुत्र?


मन से उत्पन्न होने वाली पिता की भावना रखने वाले व्यक्ति को मानस पुत्र कहते हैं. पुराणों के अनुसार, मानस पुत्र उस संतान को कहते हैं, जिसकी उत्पत्ति शारीरिक संबंध से नहीं बल्कि इच्छा मात्र से हुई हो. जैसे सनद आदि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र कहलाए.
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