श्री गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए कैडेवरिक ओथ का आयोजन

मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर, द वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज कोलकाता के पूर्व कुलपति और सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय कोलकाता के एमिरेट्स प्रोफेसर, सीनियर हार्ट सर्जन डॉ. भावतोष विश्वास ने कहा कि कैडेवर (शव या मृत मानव शरीर) मेडिकल विद्यार्थियों का प्रथम गुरु होता है। इस गुरु के सामने ही शपथ लेकर चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थी चिकित्सा क्षेत्र की अपनी ज्ञान यात्रा शुरू करते हैं।

प्रो. भावतोष विश्वास शनिवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के श्री गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए आयोजित कैडेवरिक ओथ सेरेमनी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग के विच्छेदन कक्ष में मानव शरीर (कैडेवर) को प्रथम गुरु मानने की पारंपरिक शपथ दिलाई गई। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. भावतोष ने कहा कि कैडेवरिक ओथ के साथ ही चिकित्सा विज्ञान के नए छात्रों की प्रायोगात्मक कक्षाएं भी प्रारंभ हो गई हैं। उन्होंने कहा कि कैडेवर की आपने पूजा की है इसलिए इस गुरु के प्रति सदैव सम्मान का भाव रखें। इस कैडेवर से आपको मानव शरीर की रचना के वैज्ञानिक अध्ययन का अवसर मिल रहा है। यह अध्ययन आपको भविष्य में मानवता की सेवा करने वाला सुयोग्य चिकित्सक बनाएगा।
मेडिकल विद्यार्थियों का पहला गुरु होता है कैडेवर : प्रो. भावतोष
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित भारत सरकार के पूर्व औषधि महानियंत्रक एवं यूपी के मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज को मिले कैडेवर को शव मात्र समझने की भूल नहीं होनी चाहिए। ये कैडेवर चिकित्सकीय ज्ञान प्राप्त करने महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इनके अध्ययन का अनुभव हासिल करना चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के लिए अनिवार्य और अपरिहार्य है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरिंदर सिंह ने एमबीबीएस छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज से आपकी व्यवहारिक शिक्षा भी प्रारंभ हो रही है। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेजों को जहां एक कैडेवर हासिल करना कठिन होता है वहीं इस मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस स्टूडेंट्स को व्यवहारिक अध्ययन के लिए सात कैडेवर उपलब्ध हैं।

शव शपथ कार्यक्रम में शरीर रचना विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका सिंह ने कहा कि कैडेवरिक ओथ देहदान के पश्चात देह को गुरु मानकर उनके सम्मान में एमबीबीएस छात्रों द्वारा ली जाने वाली पारम्परिक शपथ को कहते हैं। उन्होंने मेडिकल के छात्रों को देहदान करने वाले व्यक्ति के पार्थिव शरीर को सर्वोच्च सम्मान के साथ व्यवहार करने, मृतक व उनके परिवार के प्रति जीवन पर्यन्त आभार की अनुभूति रखने तथा इस महान बलिदान से अर्जित ज्ञान से समाज की सेवा करने की शपथ दिलाई। उन्होंने, शव को विच्छेदित करते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी है, इससे भी अवगत कराया।
इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव, श्री गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्राचार्य डॉ. अरविंद सिंह कुशवाहा, नर्सिंग संकाय की प्राचार्या एवं हॉस्पिटल इंचार्ज डॉ. डीएस अजीथा समेत कई विभागों के प्रमुख, शिक्षक और एमबीबीएस के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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