समाज से प्रताड़ित मुस्लिम परिवार की भावुक कहानी है, ‘मुल्क’

 

 

तापसी पन्नू और ऋषि कपूर की बहुचर्चित फिल्म ‘मुल्क’ रिलीज से पहले ही काफी सुर्खियों में है। फिल्म 3 अगस्त को रिलीज होगी। फिल्म ‘मुल्क’ में हिंदू-मुस्लिम जैसे विवादित गंभीर मुद्दे को दर्शाया गया है। इस वजह से फिल्म के लेकर कई विवाद भी खड़े हो गए हैं, लेकिन इस फिल्म में क्या खास है इस बारे में आज हम आपके बताते हैं। ‘मुल्क’ फिल्म की खास बात यह है कि इसके हर किरदार को बहुत ही खूबसूरती के गढ़ा गया है। वहीं इन किरदारों ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया भी है। मुस्लिम परिवार में हिंदू बहू (तापसी पन्नू) से लेकर मुस्लिम आतंकवादी की जांच करने वाले ऑफिसर दानिश जावेद (रजत कपूर) तक के हर एक किरदार को परदे पर बड़े ही शानदार तरीके के पेश किया गया है।

 

 

चूंकी बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में भारत-पाकिस्तान विवाद या किसी दंगे पर आधारित होती हैं। लेकिन फिल्म ‘मुल्क’ के साथ ऐसा नहीं है। इसकी कहानी असल में एक मुस्लिम परिवार के खोये सम्मान पर आधारित है, जिसे घर के आतंकवादी बेटे (प्रतीक बब्बर) की वजह से अपने मोहल्ले और समाज में बदनाम होना पड़ता है।’मेरे मुल्क के लिए मेरा प्यार साबित करो’ और ‘मेरे घर में मेरा स्वागत करने का हक उन्हें किसने दिया’, मुल्क की कहानी के अलावा फिल्म के ऐसे जबरदस्त डायलग्स भी दर्शकों के दिलों को जीतने में कामयाब होंगे। फिल्म में आशुतोष राणा के डायलॉग भी काफी दमदार हैं।

 

 

असली आतंकवाद की परिभाषा
फिल्म ‘मुल्क’ देखने के दौरान हिंदू-मुस्लिम,देशद्रोह और जिहाद जैसी भारी शब्द भी सुनने को मिलते हैं। चूंकि फिल्म हिंदू-मुस्लिम जैसे गंभीर विषय पर आधारित है तो इसलिए फिल्म शुरुआत से लेकर अंत तक आपको सेक्युलरिजम का पाठ भी पढ़ाती है। फिल्म के आखिरी में जज के तौर पर नजर आते एक्टर कुमुद मिश्रा भी जिहाद और आतंकवाद के परिभाषा को बताने में कामयाब रहते हैं।

 

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