दुनियाभर में कोरोना का डेल्टा वेरिएंट और म्यूटेशन के बाद बना डेल्टा प्लस वेरिएंट वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. कई रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि कोरोना का ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ भारत में कोरोना की संभावित तीसरी लहर का कारण बन सकता है. इन सब के बीच कोरोना के एक अन्य वेरिएंट ने भी वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. वैज्ञानिकों ने कोरोना के ‘लैम्ब्डा वेरिएंट’ (Corona Lambda Variant) को भी काफी गंभीर बताते हुए कहा है कि इसे भी स्वास्थ्य संगठनों को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में देखना चाहिए.
लैम्ब्डा वेरिएंट से पेरू सर्वाधिक प्रभावित
कोरोना के लैम्ब्डा वेरिएंट (Corona Lambda Variant) 30 से अधिक देशों में फैल चुका है लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है पेरू. पेरू में अब तक प्रति व्यक्ति कोविड मौतों की संख्या सबसे अधिक है. कोरोना से प्रति एक लाख की आबादी पर 596 लोगों की मौत हुई है. इसके बाद हंगरी है, जहां प्रति एक लाख लोगों पर 307 मौतें हुई हैं.
30 देशों में फैला लैम्ब्डा वेरिएंट
पेरू की राजधानी लीमा में अगस्त 2020 में लैम्ब्डा (Corona Lambda Variant) पाया गया. अप्रैल 2021 तक पेरू में इसका प्रभाव 97 फीसदी था. लैंबडा अब विश्वव्यापी हो गया है. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह 30 देशों में पाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लैम्ब्डा कई देशों में सामुदायिक प्रसारण का कारण है, समय के साथ इसकी व्यापकता और कोविड-19 मरीजों की संख्या बढ़ रही है.’
WHO की ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ सूची में शामिल है लैम्ब्डा वेरिएंट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहले ही लैम्बडा को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के तौर पर नामित कर दिया है. ऐसा दक्षिण अमेरिकी मुल्कों में इसकी मौजूदगी को लेकर किया गया है. विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि लैम्बडा वेरिएंट तेजी से फैलता है और ये एंटीबॉडी से लड़ भी सकता है. वहीं, ‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ (PHE) ने लैम्बडा को निगरानी वाले वेरिएंट (VUI) की सूची में शामिल कर दिया है. ऐसा विश्व स्तर पर इसके फैलने और खतरनाक म्युटेशन को देखते हुए किया गया है, जिसमें L452Q और F490S में बदलना भी शामिल है.
लैम्ब्डा वेरिएंट के वैक्सीनों पर कम असरदार होने की जानकारी नहीं
PHE के मुताबिक, अभी तक ब्रिटेन में लैम्ब्डा वेरिएंट के छह मामले रिपोर्ट किए गए हैं. ये सभी मामले विदेशी यात्रा से जुड़े हुए हैं. ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह वेरिएंट अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है या वर्तमान में मौजूद वैक्सीन को कम असरदार बनाता है. मगर PHE ने कहा कि यह वायरस के व्यवहार पर म्यूटेशन के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए लैब में टेस्ट कर रहा है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि अभी तक ये वेरिएंट भारत नहीं पहुंचा है.
( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )