हाथ में लाठी, बदन पर खादी और 70 साल की उम्र में जग से मीठी बोली से लड़ जाने को हमेशा तैयार रहने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का हौसला और उनकी ऊर्जा नवयुवकों के सामान थी. 70 साल की उम्र में भी ‘जवान’ जैसी सेहत का राज वैज्ञानिकों ने खोज निकला है. कई वर्षो तक चले इस शोध में बहुत कुछ सामने आया है, जिससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है. जनवरी के अंत तक बापू के 150वें जन्म शताब्दी वर्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस शोध के रिपोर्ट्स पूरे देश के साथ साझा करेंगे.
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वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने बापू के चिकित्सकीय जीवन का इतिहास खोज निकला है. भारतीय आयुर्ज्ञान अनुसंधान परिषद् के एक वैज्ञानिक के मुताबिक, महात्मा गाँधी को अपने जीवन काल में तीन बार मलेरिया के चलते बुखार हुआ था. इसके आलावा रिसर्च में बापू की फैट लेस बॉडी, उनके ब्लड प्रेशर, और देश में फैले घटनाक्रम के चलते उनको होने वाले तनाव इत्यादि से से बचने के तरीकों को लेकर भी इस रिसर्च में खोजा गया है.
रिसर्च में मिले इन सवालों के जवाब
1- वृद्धावस्था में होने के बावजूद बापू इतने सेहतमंद कैसे थे?
2- अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू की दिनचर्या कैसी थी?. बापू का खान-पान क्या था?
3- बापू को कौन-कौन सी बीमारियां थीं?
4- बापू अपने जीवन काल में कितनी बार अस्पताल में भर्ती हुए?
5- बापू को कौन-कौन से ऑप्रेशन कराने पड़े?
रोग की रोकथाम पर था ज्यादा भरोसा
इस रिसर्च के अनुसार बापू को रोगों के रोकथाम पर ज्यादा भरोसा था. इस कारण उन्होंने चिकित्सकों से देशभर में निरोगी काया को लेकर जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास भी किया था. साथ ही खान-पान रहन-सहन और जीवन में अनुशासन का सीधा संबंध स्वास्थ्य से होने के प्रति भी जागरूक करने की कोशिश की थी.
पिछले साल दिल की धड़कन का डिजिटल किया गया था पेश
बीते वर्ष ही वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की ईसीजी रिपोर्ट का पता लगाया था. बाद में बापू के धड़कन का डिजिटल संस्करण पेश किया गया था. अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम और दिल्ली संग्रहालय में बापू की धड़कन को डिजिटल रूप में सुना जा सकता है. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस नए रिसर्च की पूरी रिपोर्ट पीएम मोदी जनवरी के अंत में पूरे देश के रखेंगे.