मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने वाले मुद्दे पर मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर 18 फरवरी से पहले तक जवाब मांगा है. गौरतलब है कि, 10 फीसदी आरक्षण पर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) के संगठन सचिव आरएस भारती ने सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए मद्रास हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है जिसमे सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण का विरोध हुआ हो, इससे पहले डीएमके सांसदों ने भी संसद में बिल के विरोध में वोट किया था और सांसद कनिमोझी ने मांग की थी कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. संसद में बिल पर बहस होने से पहले ही डीएमके चीफ एम के स्टालिन इस बिल का विरोध कर चुके हैं. उनका कहना था कि कोटा सामाजिक पिछड़ेपन पर आधारित होना चाहिए न कि आर्थिक स्थिति पर.
राज्य सेवाओं में नहीं मिलेगा आरक्षण
सरकार ने साफ किया था कि, 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण अभी राज्य सेवाओं पर लागू नहीं होगा. लेकिन अगर राज्य सरकारें चाहें तो इसी प्रकार का कानून बनाकर अपनी राज्य सेवाओं के लिए भी इस प्रकार का प्रावधान तैयार कर सकती हैं. साथ ही यह आरक्षण निजी संस्थान केंद्रीय शिक्षण संस्थानों से संबद्ध हैं, यूजीसी या केंद्र से सहायता लेते हैं, या उनके कानूनों से संचालित होते हैं,वहां भी आरक्षण लागू होगा.
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यह है आरक्षण के दायरे
-सालाना आय 8 लाख से कम होनी चाहिए
-कृषि योग्य भूमि 5 हेक्टेयर से कम होनी चाहिए
-घर 1000 स्क्वायर फीट जमीन से कम में होना चाहिए
-निगम में आवासीय प्लॉट 109 यार्ड से कम होना चाहिए
-निगम से बाहर के प्लॉट 209 यार्ड से कम होने चाहिए
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