अपनी सरकार में मायावती ने किया 14 अरब का घोटाला, इन मंत्रियों ने दिया साथ!

उत्तर प्रदेश की सियासत में घोटालों की परत दर परत उखड़ती जा रही है। पहले यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव की सरकार के दौरान 97000 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ। अब मायावती के शासनकाल में 14 अरब के स्मारक घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मायावती की सरकार में हुए घोटाले की जांच विजिलेंस विभाग कर रहा है। वहीं, कोर्ट ने कहा कि इस घोटाले में शामिल एक भी आरोपी बचना नहीं चाहिए। ऐसे में मायावती की मुश्किलें बढ़ना तय है।

 

मायावती सरकार में 14 अरब के घोटाले का आरोप

जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में आंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांसीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, इको पार्क, नोएडा आंबेडकर पार्क, रमाबाई आंबेडकर मैदान स्मृति उपवन के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपए के घोटाले का आरोप है।

 

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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि एफआईआर दर्ज हुए चार साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन विजिलेंस ने चार्जशीट फाइल नहीं की है। याचिककर्ता ने कहा कि इससे पहले लोकायुक्त ने इस मामले में एसआईटी या सीबीआई जांच की संस्तुति की थी, लेकिन उस पर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। बता दें कि इस मामले में 1 जनवरी 2014 को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होनी है।

 

लोकायुक्त की जांच में 1410 करोड़ रुपए के घोटाले की बात सामने आने के बाद शशिकांत उर्फ भावेश पांडेय ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसकी सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की पीठ ने एक हफ्ते में प्रदेश की सरकार से जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की है। 14 अरब के स्मारक घोटाले में बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन, बाबूराम कुशवाहा और 12 तत्कालीन विधायक भी आरोपी हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में स्मारकों के निर्माण में लगे कई अभियंता और अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जा रही है।

 

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सपा के बाद योगी सरकार ने बैठाई जांच

दरअसल, साल 2007 से लेकर 2012 के बीच लखनऊ और नोएडा में कई पार्क और स्मारक बनवाए गए। इनके निर्माण का कार्य लोक निर्माण विभाग, नोएडा प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी ने कराया। ऐसे में जब निर्माण कार्य में धांधली का आरोप लगा तो अखिलेश सरकार के शासनकाल में जांच बैठा दी गई। लोकायुक्त की जांच में करीब 1410 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया।

 

जानकारी के मुताबिक, स्मारकों के निर्माण कार्य में लगाए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई, लेकिन इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया। घोटाले की जांच में लोकायुक्त ने जिक्र किया है कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं थी, इसके बावजूद इन पत्थरों में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई। आरोप यह भी है कि भुगतान तय रकम से दस गुना ज्यादा दाम पर ही किया जाता रहा।

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