‘मुझे सब खबर है कि अस्पताल में बेड खाली थे और मरीज बाहर मरते रहे’, जब कानपुर में अफसरों पर भड़के CM योगी

शनिवार को सीएम योगी कोरोना महामारी में चल रही तैयारियों का जायजा लेने इटावा और कानपुर दौर पर थे। इस दौरान वो कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के काम से नाराज नजर आए। उन्होंने कॉलेज और हैलट की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए। जब वहां के अफसरों ने सीएम को जवाब देना चाहा तो सीएम ने उनकी क्लास लगा दी। जिसके बाद अभी अफसर शांत बैठ गए। सीएम ने वहां के अफसरों को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और एसजीपीजीआई का उदाहरण दिया।


जब सीएम बोले मुझे सब पता है…

जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठक में सबसे अधिक कानपुर स्थित हैलट अस्पताल की स्थिति पर बरसे। बोले कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सबसे ज्यादा शिकायतें हैलट की आती हैं। रोगी परेशान होते हैं। इसके साथ ही सीएम बोले कि जब मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट में बेड क्षमता 1700 की है तो साढ़े तीन सौ बेड ही क्यों चालू रखे गए। मुझे पता है कि हैलट में बेड खाली पड़े रहे और बाहर रोगी बेड के लिए भटकते-भटकते मर गए। जब हैलट में बेड हैं तो रोगियों को प्राइवेट अस्पतालों में क्यों जाना पड़ा?


सीएम के इस रूप को देखकर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल और दूसरे अधिकारी जैसे सकते में आ गए। उस समय ऐसा लग रहा था मानों सीएम को हर एक मामले की जानकारी है। अफसरों की क्लास लगाते हुए सीएम ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में जीएसवीएम ने कोरोना काल में लीडर की तरह काम ही नहीं किया है। उन्हें केजीएमयू और एसजीपीजीआई की तरह मिसाल पेश करनी चाहिए थी। ताकि लोगों की भी कोई दिक्कत ना होने पाए।


आगे सीएम योगी ने बैठक में सख्त लहजे में कहा कि एक मेडिकल कॉलेज की तरह हैलट ने काम किया ही नहीं। यहां रोग के मामले में खोजबीन नहीं की गई। एक काम चलाऊ टाइप की व्यवस्था रही। हैलट सिर्फ एक अस्पताल की तरह काम करता है। मेडिकल कॉलेज की तरह काम ही नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि तरीका यह था कि कोरोना के इलाज में नए तरीके के इनोवेशन किए जाते। जिससे काफी राहत मिल सकती थी।


शवों के मिलने पर व्यक्त की चिंता

मेडिकल कॉलेज से मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ने अफसरों संग बैठक में गंगा और यमुना किनारे मिलीं सैकड़ों लाशों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति दुख भी जताया। कहा कि एक तो इतनी मौतें नहीं होनी चाहिए। यदि महामारी में हुईं भी तो उनके शवों के अंतिम संस्कार की उचित व्यवस्था होनी चाहिए थी। इसमें जिला प्रशासन सही से काम नहीं कर सका। भविष्य में इस तरह की खामी सामने न आए। हर शव का सम्मान पूर्वक और उचित तरीके से अंतिम संस्कार हो। 


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