सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी की जिला अदालत (Varanasi District Court) में ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) की सुनवाई सोमवार को होगी. जिला जज डॉ अजय कृष्ण की कोर्ट में सुनवाई होगी. जिला जज की कोर्ट में नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई होगी. मुस्लिम पक्ष ने अपनी याचिका में मंदिर पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाए हैं. मुस्लिम पक्ष के मुताबिक 1991 प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट के मुताबिक मंदिर पक्ष के मुकदमे का आधार ही नहीं बनता.
कोर्ट में यह भी तय होगा कि ज्ञानवापी प्रकरण में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 लागू होता है या नहीं. संभावना यह भी है कि एडवोकेट कमिश्नर की टीम द्वारा किए गए ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की रिपोर्ट पर भी जल्द ही चर्चा शुरू हो सकती है. सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा कि पहले यह तय किया जाए कि मामला चलने योग्य है या नहीं?
दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को सिविल जजा की अदालत से जिला जज को ट्रांसफर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली मस्जिद पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया है. आज जो सुनवाई होनी है वह मुस्लिम पक्ष की उस अर्जी पर है जिसमें मंदिर पक्ष के मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी राखी सिंह और वाराणसी की चार महिलाएं लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने 18 नवंबर 2021 को वारसी के सिविल कोर्ट में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का अधिकार देने के लिए वाद दाखिल किया था. जिस पर जज रविक कुमार दिवाकर ने ज्ञानवापी मस्जिद में कमीशन का आदेश दिया. जिसके बाद परिसर कर सर्वे किया गया और रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी गई.
पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी दाखिल करेंगे याचिका
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा है कि वह ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा के लिए सोमवार को कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी कभी मस्जिद नहीं थी, वह अनादि काल से मंदिर है. अब जबकि हमारे आराध्य देव मिल गए हैं, तो हम उनकी नियमित पूजा करना चाहते हैं. हमारे प्रभु रोजाना स्नान, शृंगार और भोग-राग के बगैर रहें, यह कितनी ही कष्टदायक बात है. इसलिए हम अपने भोलेनाथ की पूजा की अनुमति देने के लिए कोर्ट से गुहार लगाएंगे.
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