Lohri 2025 : जानें कृषि, संस्कृति और एकता के रंगीले पर्व का महत्व

लोहड़ी एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है, जो खासकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार विभिन्न कारणों से मनाया जाता है, जिनमें सांस्कृतिक, कृषि और धार्मिक पहलू शामिल हैं।

महत्व

लोहड़ी भारतीय संस्कृति और परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत, खासकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष रूप से कृषि, सामाजिक एकता, धार्मिक मान्यताओं और ऐतिहासिक कहानियों से जुड़ा हुआ है। लोहड़ी का महत्व न केवल प्रकृति और मौसम से जुड़ा है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जब समाज सामूहिक रूप से खुशी और समृद्धि का उत्सव मनाता है।

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कृषि पर्व और फसल की कटाई का उत्सव

लोहड़ी मुख्य रूप से फसल की कटाई और नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार विशेष रूप से रबी की फसल जैसे गेहूं, चना, मूंगफली और गन्ना की कटाई के बाद मनाया जाता है। किसान अपनी मेहनत और फसल की सफलता के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं।अलाव जलाने की परंपरा का संबंध नई फसल की कटाई से होता है, क्योंकि यह अलाव ठंड से राहत प्रदान करता है और वातावरण को गर्म करता है। इससे जुड़ा हुआ एक और पहलू यह है कि लोहड़ी के दिन आग जलाकर फसल की अच्छाई और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

लोककथाएँ और दुल्ला भट्टी की कहानी

लोहड़ी का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक कारण उसकी लोक कथाओं से जुड़ा हुआ है, खासकर दुल्ला भट्टी की कहानी से। दुल्ला भट्टी एक बहादुर नेता थे, जिन्होंने गरीबों और दीन-हीन लोगों की मदद की। उन्होंने एक बार एक गरीब लड़की को डाकुओं से बचाया और उसकी शादी कराई, और इसके बाद लोहड़ी के दिन उनके सम्मान में गीत गाए जाते हैं। यह परंपरा पंजाब और उत्तर भारत में अब तक जीवित है।दुल्ला भट्टी की वीरता और मानवता के प्रतीक के रूप में लोहड़ी मनाई जाती है, और यह समाज के प्रति उसकी निस्वार्थ सेवा को सम्मानित करने का तरीका है।

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पारंपरिक व सांस्कृतिक महत्व

लोहड़ी का पर्व पंजाब और आसपास के इलाकों में एक सामूहिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोग घरों के आंगन में अलाव जलाते हैं और पारंपरिक गीत गाते हुए नृत्य करते हैं। यह सामाजिक एकता और सामूहिक आनंद का प्रतीक है।लोहड़ी का मुख्य आकर्षण उसका लोकनृत्य “भंगड़ा” और “गिद्दा” है, जिनमें लोग समूह में शामिल होकर खुशी और उल्लास का अनुभव करते हैं। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है, और सामूहिक रूप से समाज में सकारात्मकता और भाईचारे का प्रचार करता है।

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