लोकसभा चुनाव: अगर इस शर्त को मान ले कांग्रेस तो ‘माया-अखिलेश गठबंधन’ में हो सकती है शामिल

लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में गठबंधन की राजनीति जोरों पर है. प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों के लिए सामाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी गठबंधन कर करीब 24 साल बाद एक साथ आ रहीं हैं. जानकरी के मुताबिक अखिलेश यादव और मायावती कल दोपहर 12 बजे लखनऊ के होटल ताज, गोमतीनगर में एक साझा प्रेस कांफ्रेस करके गठबंधन को लेकर बड़ा एलान कर सकते हैं.

 

सूत्रों के की मानें तो दोनों पार्टियां 37-37 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे. राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के लिए 2 सीटें छोड़ी जाएंगी हालांकि आरएलडी 5 सीटों की मांग कर रही  है. 2 सीटें कांग्रेस के लिए अमेठी व रायबरेली छोड़ी जायेगी. इसके अलावा 2 सीटे भारतीय जनता पार्टी के संभावित बागियों के लिए रखने पर सहमति बनी है.

 

कुल मिलाकर सपा-बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने के संकेत दे दिए हैं. हालांकि चुनाव बाद गठबंधन के लिए राह बनी रहे इसके लिए सपा-बसपा गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली से अपना प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है. वहीं सूत्रों के हवाले से यह खबर भी सामने निकलकर आई है. अगर कांग्रेस अपनी ज्यादातर सीटों पर सवर्ण उम्मीदवारों को उतारे तो वह भी गठबंधन में शामिल हो सकती है.

 

समीकरण पर अगर नजर डालें तो कांग्रेस अगर अपनी सीटों पर सवर्ण उम्मीदवार उतारती है तो इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होगा जिसका फायदा सपा-बसपा गठबंधन को होगा.

 

बसपा ने विधानसभा चुनाव में 100 मुस्लिमों को दिया था टिकट 

यादव-मुस्लिम समीकरण को अपना आधार मानने वाली सपा अपना अल्पसंख्यक आधार खोना नहीं चाहेगी. वहीं, बसपा मुस्लिमों को अपने खेमे में लाने का प्रयास करती रही है. इसी उद्देश्य से साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने 100 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था. जबकि सपा, कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी. ऐसे में सपा और बसपा के उम्मीदवारों में वोटों का बिखराव हो गया जिसका फायदा भाजपा को हुआ था.

 

इन मुस्लिम सीटों पर फंस सकता है पेंच 

मुस्लिम आबादी के लिहाज से रामपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, बिजनौर और अमरोहा ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी 35 से 50 फीसदी के बीच है. वहीं मेरठ, कैराना, बरेली, मुजफ्फरनगर, संभल, डुमरियागंज, बहराइच, कैसरगंज, लखनऊ, शाहजहांपुर और बाराबंकी में मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा और 35 फीसदी से कम है. हाल के दिनों में बसपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अल्पसंख्यक आधार बढ़ाया है. लिहाजा, यही वो सीटें हैं जिन्हें लेकर पेच फंस सकता है.

 

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