मुश्किल में गठबंधन: 23 दिन बाद भी सपा-बसपा में नहीं बन पा रही सहमति, इन सीटों पर फंसा पेंच

लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा गठबंधन में जितनी गर्मजोशी गठबंधन से पहले दिख रही थी उतनी गर्मजोशी गठबंधन के बाद देखने को नहीं मिल रही. हालत तो ये है कि गठबंधन के 23 दिन बाद भी दोनों में अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सूत्रों के मुताबिक कई सीटें ऐसी हैं जिनको लेकर अखिलेश और मायावती दोनों ही अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं.


जिन परिस्थितियों के कयास गठबंधन से पहले राजनीतिक जानकार लगा रहे थे, ठीक वही आज देखने को मिल रहा है. जानकारों ने पश्चिमी यूपी की जिन सीटों को लेकर आशंका जताई थी, उन्हीं सीटों पर आज दोनों दलों में सहमति नहीं बन पा रही है. सूत्रों के मुताबिक 60 से ज्यादा सीटों पर सपा-बसपा में आम सहमति बन चुकी है, वहीं पश्चिमी यूपी की करीब 12 सीटों पर सहमति नहीं बन पायी है, और दोनों ही अपना-अपना दावा ठोंक रहे हैं.


जानकारी के मुताबिक मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ऐसी सीटों की मांग कर रहीं हैं जिन पर अखिलेश की सपा पिछले चुनावों में दूसरे नंबर पर रही थी. इनमें नगीना (सुरक्षित) सीट भी शामिल हैं. इतना ही नहीं पूर्वी यूपी की करीब आधा दर्जन सीटें ऐसी हैं, जिनकर सहमति नहीं बन पा रही है.


सपा-बसपा गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही देरी के पीछे कुछ राजनीतिक जानकर प्रियंका की राजनीति में एंट्री को भी मान रहे हैं. फिलहाल कारण जो भी लेकिन इस प्रकार की चीजें दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं के जोश और तालमेल में कमी ला सकती हैं जो गठबंधन के उद्देश्य के लिहाज से ठीक नहीं है.


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