राफेल डील: मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की क्‍लीनचिट, खारिज की पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को राफेल डील (Rafale Deal) पर फैसला देते हुए विपक्षी नेताओं की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका (REview Petition) को खारिज करते हुए मोदी सरकार (Modi Sarkar) को क्‍लीन चिट दे दी. चीफ जस्टिस रंजन गोगौई, जस्टिस एस.के कौल, जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच ने राफेल डील पर फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब राफेल डील पर सौदे की जांच नहीं होगी.


कोर्ट ने पिछले साल के फैसले में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत बताया था और सरकार को क्लीनचिट दी थी. कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. वकील प्रशांत भूषण, पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी समेत अन्य ने राफेल डील मामले में जांच की मांग करते हुए याचिका दायर थी.


क्या है राफेल डील


राफेल फाइटर जेट डील भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच सितंबर 2016 में हुई. इसके तहत भारतीय वायुसेना को 36 अत्याधुनिक लड़ाकू विमान मिलेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह सौदा 7.8 करोड़ यूरो (करीब 58,000 करोड़ रुपए) का है.


एनडीए और यूपीए सरकार के दौरान मूल्य में कितना फर्क?

कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार के दौरान एक राफेल फाइटर जेट की कीमत 600 करोड़ रुपए तय की गई थी. मोदी सरकार के दौरान एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपए का पड़ेगा.


राफेल की कीमत में इतना अंतर क्यों?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपीए सरकार के दौरान सिर्फ विमान खरीदना तय हुआ था. इसके स्पेयर पार्ट्स, हैंगर्स, ट्रेनिंग सिम्युलेटर्स, मिसाइल या हथियार खरीदने का कोई प्रावधान उस मसौदे में शामिल नहीं था. फाइटर जेट्स का मेंटेनेंस बेहद महंगा होता है. मोदी सरकार ने जो डील की है, उसमें इन सभी बातों को शामिल किया गया है. राफेल के साथ मेटिओर और स्कैल्प जैसी दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलें भी मिलेंगी. मेटिओर 100 किलोमीटर तक मार कर सकती है जबकि स्कैल्प 300 किमी तक सटीक निशाना साध सकती है. कांग्रेस की आपत्ति है कि इस डील में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रावधान नहीं है. पार्टी इसमें एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाती है.


राफेल डील में ऑफसेट क्लॉज क्या है?

यह भी इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है. ऑफसेट क्लॉज (एक ऐसी शर्त जो इस करार का हिस्सा है लेकिन इस्तेमाल दूसरी जगह होगा) के मुताबिक, फ्रांस इस करार की कुल राशि का करीब 50% भारत में रक्षा उपकरणों और इससे जुड़ी दूसरी चीजों में निवेश करेगा.


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