सांप्रदायिक सौहार्द के लिए मुस्लिम महिलाओं ने रखा ‘करवा चौथ’ का व्रत तो फूटा मौलवियों का गुस्सा, बताया- इस्लाम विरोधी

प्रसिद्ध इस्लामिक मदरसे और देवबंद के मौलवियों ने इस साल लखनऊ और आगरा में ‘करवा चौथ का व्रत’ (Karva Chauth fast) रखने वाली और हिंदू रीति-रिवाज का पालन करने वाली मुस्लिम महिलाओं (Muslim women) का जोरदार विरोध किया है। मौलवियों ने मुस्लिम महिलाओं के इस कदम को ‘अन-इस्लामिक’ करार दिया है।


इस साल पहली बार करवा चौथ मनाने वाली मुस्लिम महिला आयशा अहमद ने कहा कि हम सभी त्योहारों को सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक के रूप में मनाना चाहते हैं। इसमें इस्लाम का अनादर करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।


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वहीं, देवबंद के एक मौलवी मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि करवा चौथ इस्लाम में नहीं है। और जो लोग इसे अपना रहे हैं, उनका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। इस्लाम में रोजा करने का प्रावधान है। फिर भी कोई करवा चौथ का पालन करता है, तो यह उसकी पसंद है। इस्लाम किसी को मजबूर नहीं करता।


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उधर, इस्लामी अध्ययन के एक अन्य विद्वान और जमीयत दावत उल मुस्लीमीन के संरक्षक मौलाना कारी इशाक गोरा ने कहा कि प्रत्येक धर्म के अपने नियम और कानून हैं। इस्लाम में करवा चौथ नहीं है।


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