कानपुर कांड में STF का चौंकाने वाला खुलासा, दारोगा और सिपाही ने की थी पुलिस मूवमेंट की मुखबिरी

कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में बीती 3 जुलाई को दबिश के दौरान एक सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों के एनकाउंटर (Kanpur encounter) के मामले में एसटीएफ ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। एसटीएफ के हाथ लगे ऑडियों में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पुलिस के मूवमेंट की मुखबिरी करने वाले का पता चला है। एसटीएफ के मुताबिक, दारोगा केके शर्मा और सिपाही राजीव चौधरी की उस दिन विकास दुबे से बातचीत हुई थी।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक की जांच में एसटीएफ को जो भी सबूत मिले हैं, उसमें दारोगा केके शर्मा की शाम साढ़े पांच बजे विकास दूबे से बात होने का पता चला है। इसके बाद दबिश से ठीक पहले सिपाही राजीव चौधरी ने रात 12.11 बजे विकास दुबे को फोन किया और दबिश की पूरी सूचना दी। इतना ही नहीं, इस सूचना के बाद विकास ने राजीव से कहा था कि आज पुलिस से निपट लेंगे।


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इसी के बाद 12:30 बजे और 1 बजे के बीच पुलिस दबिश देने के लिए विकास दुबे के घर पहुंची, जहां पहले से ही घात लगाकर बैठे विकास और उसके गुर्गों ने पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी थी। इस फायरिंग में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए।


इस ऑडियों के सामने आने के बाद दारोगा केके शर्मा और सिपाही राजीव चौधरी को सस्पेंड कर दिया गया है। इस मामले में पहले एसएसपी दिनेश कुमार शर्मा ने चौबेपुर एसओ विनय तिवारी और दारोगा कुंवर पाल को भी निलंबित किया था। दरअसल, पूरे मामले में अब तक की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि दबिश की मुखबिरी पुलिस विभाग से ही की गई थी


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इस घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी विकास दुबे की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस की 100 से ज्यादा टीमें प्रदेश और आसपास के राज्यों में लगातार दबिश दे रही हैं। पुलिस को आशंका है कि विकास दुबे मध्य प्रदेश के ग्वालियर में छिपा हो सकता है। ऐसे में मध्य प्रदेश की पुलिस को भी हाई अलर्ट कर दिया गया है।


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