कृषि बिल की आड़ में विरोध प्रदर्शन करने वाले ‘जिहादी’, PM मोदी से निवेदन- न लें कानून वापस: साध्वी प्राची

अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चाओं में रहने वाली हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची (Sadhvi Prachi) ने इस बार कृषि बिल को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन पर बड़ा बयान दिया है। सोमवार को उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में मीडिया से बातचीत के दौरान साध्वी प्राची ने कहा कि किसानों की आड़ में जो लोग कृषि बिल को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, वह लोग जेहादी हैं, खालिस्तान की बात कर रहे हैं।


साध्वी प्राची ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया है कि वह कृषि कानून को वापस न लें। उन्होंने कहा कि यह कानून 70 साल की व्यवस्थाओं के बाद किसानों के लिए आया है, अगर कानून वापस लिया गया तो वह दिल्ली में अनशन करेंगी। यही नहीं, इस दौरान साध्वी प्राची ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के कार्यकाल में हजारों बीजेपी नेताओं की हत्या हुई, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हमला हुआ।


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उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार पश्चिम बंगाल में बनने के बाद ममता बनर्जी का मुंह काला हो जाएगा। वहीं, कांग्रेस पर हमलावर होते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और फिर मिसेज वाड्रा है, उसके अलावा कोई नहीं…भाजपा सिद्धांतवादी पार्टी है। साध्वी प्राची ने कहा कि भाजपा में अमित शाह जी के बाद जेपी नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और अगल अध्यक्ष कौन होगा इसकी भी जानकारी किसी को नहीं है। राहुल गांधी कांग्रेस को बर्बाद करके अच्छा काम कर रहे हैं।


किसान आंदोलन का 26वां दिन


दिल्ली से सटे हरियाणा और UP बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का रविवार को 25वां दिन था। सरकार ने रविवार रात को प्रदर्शन कर रहे किसानों को अगले दौर की बातचीत का न्योता दिया। सरकार ने चिट्ठी लिखकर किसानों से ही बातचीत की तारीख तय करने को कहा है। इससे पहले, किसानों ने रविवार को अपील की कि 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो पर मन की बात करें, तो सभी अपने-अपने घरों में थाली बजाएं।


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भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह डल्लेवाला ने बताया कि किसानों ने 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी टोल प्लाजा फ्री करने का फैसला भी किया है। वहीं, यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाएगा। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे उस दिन एक वक्त का खाना छोड़े।


गौरतलब है कि केन्द्र सरकार जहां तीनों कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।


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