अयोध्या फैसला: SC में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा AIMPLB, जिलानी बोले- शरियत के मुताबिक कोई और जमीन नहीं ले सकते, हमें बाबरी मस्जिद वाली ही चाहिए

यूपी की राजधानी लखनऊ में रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक हुई. इसमें एएमआईएएम अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी समेत देशभर के मुस्लिम नेता पहुंचे. मीटिंग के बाद बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे. हमें दूसरी जगह दिया जाना मंजूर नहीं है. 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही किसी अन्य जगह मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने की बात कही थी.


एआईएमपीएलबी के वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कहा, ‘‘शरई वजहों से दूसरी जगह पर मस्जिद की जमीन कबूल नहीं करेंगे. हमें वही जमीन चाहिए, जिसके लिए लड़ाई लड़ी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई अंतर्विरोध हैं. जब बाहर से लाकर मूर्ति रखी गई तो उन्हें देवता कैसे मान लिया गया? जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता. गुंबद के नीचे जन्मस्थान का प्रमाण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि वहां नमाज पढ़ी जाती थी. हमें 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए.’’


जिलानी ने यह भी कहा कि अयोध्या में 27 मस्जिद हैं. बात मस्जिद की नहीं है. जमीन के हक पर लड़ाई है. 30 दिन के अंदर रिव्यू फाइल करना होता है, जिसे हम कर देंगे. बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी पर जिला प्रशासन और पुलिस दबाव डाल रही है. हाजी महबूब की भी सहमति मिली है.


फैसले के 10 प्रमुख मुद्दों पर हुई चर्चा

बता दें पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक अध्यक्ष मौलाना सैय्यद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई. इसमें मुख्य तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले में दिए गए 10 निष्कर्षों मुद्दों पर चर्चा हुई. जिनमें प्रमुख रूप से सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 1857 से 1949 तक बाबरी मस्जिद का तीन गुंबद वाला भवन और मस्जिद का अंदरूनी सदन मुसलमानों के कब्जे व प्रयोग में रहा है. अंतिम नमाज 16 दिसंबर 1949 को पढ़ी गई थी. 22/23 दिसंबर, 1949 की रात बाबरी मस्जिद के बीच वाले गुंबद के नीचे असंवैधानिक रूप से रामचंद्रजी की मूर्ति रख दी गई और बीच वाले गुंबद के नीचे की भूमि का जन्मस्थान के रूप में पूजा किया जाना साबित नहीं है.


बता दें इससे पहले बैठक के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार या समीक्षा याचिका) दायर करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें मालूम है रिव्यू पिटीशन का हाल क्या होना है, लेकिन फिर भी हमारा यह हक है. उन्होंने आगे कहा कि बोर्ड की बैठक में क्या फैसला हुआ यह प्रेस कॉन्फ्रेंस में पता चलेगा. अरशद मदनी ने कहा कि हम न मस्जिद को दे सकते हैं और न ही उसकी जगह कोई जमीन ले सकते हैं. मुकदमे में हमें हमारा हक नहीं दिया गया. मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी.


मसला यहीं खत्म किया जाए: इकबाल अंसारी

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक पर बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने कहा है कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि फैसला आ गया, फैसले को हमने मान भी लिया और अब हम आगे अब नहीं जाना चाहते. हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं और हिंदुस्तान का संविधान भी मानते हैं.


इकबाल अंसारी ने कहा कि हिंदुस्तान का अहम फैसला था. हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे. हम चाहते हैं कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए, जितना मेरा मकसद था, उतना मैंने किया. घर अल्लाह का है और अल्लाह मालिक है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला कर दिया, उसे मान लो. अयोध्या समेत पूरे देश में शांति का माहौल बना रहे, देश तरक्की करें. हम पक्षकार थे और हम अब रिव्यू दाखिल करने आगे नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि पक्षकार ज्यादा हैं, कोई क्या कर रहा है नहीं मालूम लेकिन हम अब रिव्यू दाखिल नहीं करेंगे.


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